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देश में 75 लाख नये रसोई गैस कनेक्शन

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी स्वीकृति

  • ई कोर्ट का तीसरा चरण लागू

  • अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के विस्तार के लिए 1650 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है जिससे अगले तीन वर्ष में 75 लाख नये रसोई गैस – एलपीजी कनेक्शन दिये जाएगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2025-26 तक तीन वर्षों में 75 लाख एलपीजी कनेक्शन जारी करने के लिए प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के विस्तार को मंजूरी दे दी है। इसका कुल व्यय 1650 करोड़ रुपये होगा। बता दें कि अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने रसोई गैस के दाम में दो सौ रुपये की कटौती भी की है।

श्री ठाकुर ने कहा कि गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन से स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच मिलेगी, जिससे लकड़ी, कोयला, गोबर आदि जैसे खाना पकाने के ईंधन के पारंपरिक स्रोतों के उपयोग के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हो सकेगा। इससे महिलाओं की कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि कुछ पात्र परिवारों के पास अभी भी एलपीजी कनेक्शन नहीं है।

इसके कारण बढ़ती जनसंख्या, विवाह, प्रवासन, परिवारों का विभाजन, बचे हुए घर, अत्यंत दूरस्थ स्थान आदि है। उन्होंने बताया कि 31 अगस्त 2023 तक 15 लाख पीएमयूवाई कनेक्शन की मांग थी। पीएमयूवाई से देश में एलपीजी की पहुंच बढ़ाने में प्रमुख योगदान दिया है। उज्ज्वला योजना में 14.2 किलोग्राम एक सिलेंडर के लिए 2200 रुपये प्रति कनेक्शन, पांच किलोग्राम के दो सिलेंडर के लिए 2200 रुपये प्रति कनेक्शन और पांच किलोग्राम सिलेंडर 1300 रुपये प्रति कनेक्शन व्यय किये जाते हैं। उज्ज्वला के मौजूदा तौर-तरीकों के अनुसार, उज्ज्वला लाभार्थियों को पहला सिलेंडर और चूल्हा भी मुफ्त प्रदान किया जाता है।

सरकार ने देश में न्यायालय की कार्यवाही को ऑनलाइन करने की महत्वाकांक्षी ई-कोर्ट (इलेक्ट्रानिक- न्यायालय) योजना के तीसरे चरण को लागू करने का निर्णय किया है जिस पर चार साल में 7210 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय किया जाएगा। अनुराग ठाकुर ने कहा, मंत्रिमंडल ने आज ई-कोर्ट फेज तीन (तीसरे चरण) को मंजूरी दी। इस पर 2023-24 से अगले चार वर्ष में 7210 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। चरण-तीन का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है, जो अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और कागज रहित इंटरफेस प्रदान करेगा।

श्री ठाकुर ने बताया कि इसका उद्देश्य संपूर्ण न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित अदालतों की ओर बढ़ते हुए न्याय प्रक्रिया को अधिक से अधिक आसानी बनाना है। तीसरे चरण इसमें कंप्यूटर, स्कैनर, वीडियो कांफ्रेंसिंग सम्मेलन सुविधा के लिए अतिरिक्त हार्डवेयर जुटाए जाएंगे, देश भर में 1150 वर्चुअल कोर्ट तथा 4400 पूर्णत: कार्यरत ई-सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे तथा सौर बिजली पर आधारित ऊर्जा की बैक-अप जैसी सुविधाएं भी की जाएगी।

सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि ई-कोर्ट चरण तीन की केंद्र प्रायोजित योजनाएं केंद्र सरकार के न्याय विभाग, उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी की संयुक्त साझेदारी के तहत संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित की जाएगी। इसके लिए त्रिपक्षीय समझौते किए जाएंगे। ऐसी प्रणाली जो सभी हितधारकों के लिए प्रणाली को अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय, पूर्वानुमानित और पारदर्शी बनाकर न्याय में आसानी को बढ़ावा देगी।

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