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मणिपुर में कर्नल संजेबम सीनियर एस पी बनाये गये

म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राईक करने वाले सेनाधिकारी को जिम्मेदारी

  • म्यांमार में घुसकर आतंकवादियों को मारा था

  • अगले पांच वर्षों तक इसी पद पर बहाल हुए

  • कुकी समुदायों में इस नियुक्ति से आक्रोश

राष्ट्रीय खबर

इंफालः एन बीरेन सिंह की सरकार ने हिंसाग्रस्त मणिपुर से निपटने के लिए पूर्व सैन्य अधिकारी नेक्टर संजेबम को नियुक्त किया है, जो म्यांमार में उग्रवादी शिविरों को नष्ट करने के ऑपरेशन के प्रभारी थे। 2015 में मणिपुर के चंदेल में उग्रवादियों ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने म्यांमार में उग्रवादियों के कैंपों पर हमला कर दिया। भारत सरकार का दावा है कि कम से कम 120 आतंकवादी मारे गये। पूर्व कर्नल नेक्टर ने उस अभियान का नेतृत्व किया। उस समय वह नंबर 21 पैरा रेजिमेंट में कार्यरत थे। कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित इस सैन्य अधिकारी ने पिछले साल सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।

राज्य सरकार ने उन्हें पांच साल के लिए मणिपुर पुलिस का वरिष्ठ अधीक्षक नियुक्त किया है। मणिपुर गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक उनके लिए वरिष्ठ अधीक्षक (लड़ाकू) का पद सृजित किया गया है। राज्यपाल ने पिछले सप्ताह कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले को मंजूरी दे दी। आंतरिक सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार से लेकर मणिपुर तक उग्रवादियों को हथियारों की आपूर्ति की जा रही है।

परिणामस्वरूप, म्यांमार और पूर्वोत्तर में आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेक्टर का अनुभव मणिपुर सरकार के लिए उपयोगी माना जा रहा है। लेकिन मणिपुर सरकार द्वारा मैतेई समुदाय के एक पूर्व सैन्य अधिकारी को एसएसपी के रूप में नियुक्त करने से कुकियों में घबराहट पैदा हो गई है।

उनका डर यह है कि नेक्टर कुकी एकता को विभाजित करने का प्रयास करेगा उन्होंने सोशल मीडिया की मदद से भारत सरकार का ध्यान खींचा। केंद्र ने पहले ही पूर्व सीआरपी प्रमुख कुलदीप सिंह को राज्य का सलाहकार नियुक्त किया है। राजीव सिंह को पी दंगले की जगह मणिपुर का डीजीपी नियुक्त किया गया है। हालाँकि स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया। इधर कुकी समुदाय ने असम राइफल्स और सेना से अपने इलाके में किसी मैतेई अधिकारी को पदस्थापित नहीं करने की भी अपील की है।

दरअसल अब मणिपुर व्यावहारिक तौर पर मैतेई और कुकी बहुल इलाकों में बंट गया है। चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों की सीमा राज्य के दो प्रमुख समुदायों की विभाजन रेखा है। इस बीच, 5 कुकी परिवार मैतेई बहुल इंफाल में रह रहे थे। सेना ने शुक्रवार को इन्हें हटा दिया। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, परिणामस्वरूप, मेइतेई-बसे इंफाल घाटी से एक आबादी को खत्म करने (जातीय सफाया) का काम पूरा हो गया है। राज्य सरकार के नेतृत्व में जनसंख्या का विनाश चल रहा है। केंद्र का दावा है कि राज्य संविधान के मुताबिक काम कर रहा है। इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है।

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