Breaking News in Hindi

वन नेशन वन इलेक्शन के फ़ायदे कई, लेकिन विपक्ष है कि मानता नहीं..

रंजीत कुमार तिवारी

स्थानीय संपादक, पटना

मौजूदा समय में एक देश एक चुनाव का मुद्दा राष्ट्रीय बहस बन चुका है। कुछ राजनीतिक दल इसका सपोर्ट तो कुछ विरोध करते हुए दिख रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने में सक्षम होने के के दावे कर कइयों को हैरत में डाल दिया है।

विशेषज्ञ एक साथ चुनाव कराने सरकारी राजस्व व समय बचत की बात कहे हैं, लेकिन विपक्ष है कि मानता नहीं। बार-बार होने वाले चुनाव के खर्चों के अलावा आम जनजीवन भी प्रभावित होता है। एक चुनाव के समर्थकों का मानना है कि इससे राष्ट्रहित को प्रधनता मिलेगी और इससे क्षेत्राीय अलगाववाद कम होगा।

लेकिन, इसके लिए सभी दलों के सहयोग की आवश्यकता है, ताकि संविधान सुधार हो सके। फिलहाल बयानवीर अपने नाना प्रकार के बयानों से सुर्खियां बटोरने लगे हैं। फ़िलवक्त इस हलचल से विपक्ष के तापमान में बेतहाशा वृद्धि का पता इंडिया गठबंधन नेताओं के बयानों पर गौर करने के बाद पता चलता है। दरअसल, पहली सितंबर को विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया की बैठक मुंबई हो रही थी।

इसी दौरान पीएम मोदी ने 18 सितंबर से संसद के 5 दिनों का विशेष सत्र बुलाकर अपने राजनीतिक चक्रव्यूह में सभी विपक्ष को एक साथ अटका दिया है।  इस मुद्दे से संबंधित सवालों पर मुंबई से लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बचते-बचाते निकल लिए। लेकिन, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने वन इलेक्शन पर जमकर ज्ञान दिया।

इसे उन्होंने बेकार की बात करार देते हुए वन नेशनल वन इनकम करने के लिए प्रधानमंत्री को राय दे डाली। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अभी कह रहे हैं वह नेशनल वन इलेक्शन। कल कहेंगे वन नेशन वन नेशन वन वन लीडर, वन नेशन वन पार्टी, वन नेशन वन रिलीजन। उन्होंने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन, देश के लिए यह नया नहीं है। पहले भी 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ 4 बार हो चुका हैं। बाद में राज्यों में सरकार गिरने के बाद इसमें शिथिलता आई, और इसे खत्म करना पड़ा। अब समयानुसार इसे फिर से लागू करने के आवाज बुलंद हो रहे हैं।

1983 में जब इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री थी तब चुनाव आयोग ने एक बार फिर वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इंदिरा गाँधी ने उसे ख़ारिज कर दिया था। 1999 में जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी तब लॉ कॉमिशन ऑफ इंडिया ने रेकॉमेंडशन दिया था, कि एक राष्ट्र एक चुनाव पर विचार हो। वर्ष 2014 में भाजपा के घोषणा पत्र में भी इस बात का जिक्र था। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर इस बात को लोगों के सामने ये मुद्दा रखा कि इसपर चर्चा होनी चाहिए।

तब, फिर 2017 में नीति आयोग ने अपना एक वर्किंग पेपर तैयार किया कि इसपर कैसे काम किया जा सकता है। फिर, 2018 में लॉ कॉमिशन ने अपना एक रिपोर्ट दिया कि क्या-क्या विधायी प्रक्रिया करना पड़ेगा। इसके लिए 2019 में फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुन कर आए। तो उन्होंने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन इस बैठक में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल शामिल नहीं हुए।

फिर 2022 में उस वक्त के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि हमें हरी झंडी की देर है, हरी झंडी मिलते हीं इलेक्शन कॉमिशन एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवा सकता है। उसके बाद दिसंबर 2022 लॉ-कॉमिशन ने सारे स्टैक होल्डर की बैठक बुलाई जिसमें पॉलिटिशियन, ब्यूरोक्रेट्स, एक्सपर्ट, इलेक्शन कॉमिशन के अहम लोग शामिल थे। बैठक में वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा की गई। इतना कुछ होने के बाद विपक्ष अनजान बना रहा। तथा मोदी के इस बातों को हवा में लिया। लेकिन, जो भी हो प्रधानमंत्री मोदी की ये खासियत है कि वे कुछ बड़ा करने से पहले हीं उसका संकेत दे देते हैं।

विधि आयोग के अनुसार एक साथ चुनाव कराने तीन अहम फ़ायदे हैं। एक साथ चुनाव होने जनता का रुपया बचेगा, सुरक्षा एवं विधि व्यवस्था पर दबाव कम पड़ेगा तथा सरकार की नीतियों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। चुनावी सिरदर्द कम होने की वजह से देश विकास के पथ पर अग्रसर होगा।

पीएम मोदी ने बताया कि एक बार चुनाव हो जाने से देश पर वित्तीय बोझ कम होगा। वहीं चुनाव में तैनात कर्मियों का वक़्त बचेगा। जिससे देश और तेज़ी से विकास करेगा। भारी विरोधों के बीच मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव लागू करने के लिए कमर कस चुकी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर मंथन का दौर है। इस दौरान कमेटी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर इसे प्रभावी बनाने की दिशा में सार्थक पहल करेगा। लेकिन, इसमें राजनैतिक सहमति एक साथ चुनाव की राह में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरेगी। जिसे सार्थक पहल कर ठोस बहस करने की आवश्यकता है, जिससे राजस्व के साथ लोकतंत्र के बुनियादी ढांचों को बचाया जा सके।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।