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वेतन सरकार से और काम अपना
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एसोसियेशन पर पकड़ रखने की चाल
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सरकारी स्तर पर कौन दे रहा है संरक्षण
राष्ट्रीय खबर
रांचीः अमिताभ चौधरी के दिवंगत होने के बाद भी उनके समय झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन के सदस्य बनाये गये अनेक पुलिस कर्मी आज भी मौज कर रहे हैं। इस दौरान जो सेवानिवृत्त हो गये, उनकी बात छोड़ दें तो वर्तमान में सेवारत कई लोगों की प्राथमिक जिम्मेदारी झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन में देखने को मिलती है। वैसे यह अलग बात है कि स्वर्गीय चौधरी के जाने के बाद वहां की गंदगी धीरे धीरे बाहर आ रही है क्योंकि उनके नीचे काम करने वाले जो चुप्पी साधे रहते थे, अब निजी महत्वाकांक्षा को लेकर आपस में टकरा रहे हैं।
इस क्रम में सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से ही आम लोगों का ध्यान इस तरफ गया है। मिली जानकारी के मुताबिक हाल के दिनों में एक मामले में चर्चा में आये एक पुलिस कर्मी का नाम पहले भी एक दूसरे पारिवारिक मामले में आ चुका था। ऐसे लोगों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह जनता के लिए अचरज का विषय है।
कई जिला संघों में गलत तरीके से धन की निकासी की सूचनाएं भी बाहर आ चुकी हैं। लेकिन असली मुद्दा उन लोगों का है, जो वेतन तो झारखंड पुलिस का लेते हैं पर या तो अपने पदस्थापना वाले जिला में मौजूद नहीं रहते अथवा चंद दिनों के लिए वहां चेहरा दिखाने जाते हैं। इनमें से एक मनोज कुमार का नाम हाल के दिनों में चर्चा में अधिक आया है।
वैसे यह बता देना प्रासंगिक होगा कि झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन पर अपना कब्जा कायम रखने के लिए पुलिस सेवा में रहते हुए अमिताभ चौधरी ने अनेक पुलिस वालों को झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन का सदस्य बना दिया था। इतने सारे वोट अपने पाले में करने की वजह से ही वह तत्कालीन खेल मंत्री सुदेश महतो को इस एसोसियेशन के चुनाव में पराजित करने में सफल हुए थे।
वैसे झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन के लाइफ मेंम्बरों की सूची से इसकी पुष्टि की जा सकती है। जिसमें कितने पुलिस अधिकारी है, उससे स्थिति साफ होती है। उसके बाद से एसोसियेशन के संविधान में मनमाना ढंग से बदलाव इसलिए किये गये ताकि श्री चौधरी की कुर्सी कायम रहे। अब उनके दिवंगत होने के बाद ही गड़े मुर्दे फिर से उखाड़े जा रहे हैं।
जहां तक मनोज कुमार के बारे में जानकारी सामने आयी है, उसके मुताबिक वह पुलिस विभाग में एएसआई के पद पर कार्यरत हैं। वह वर्तमान में बोकारो पुलिस में पदस्थापित है। वहां से वेतन लेने के बाद भी वह लगातार अपने कार्य के अनुपस्थित रहते हैं क्योंकि उन्हें जेएससीए स्टेडियम और वहां स्वर्गीय अमिताभ चौधरी द्वारा स्थापित काउंट क्लब में ही देखा जाता है। एक पुलिस अधिकारी लगातार अपने कार्य के अनुपस्थित रहते हुए भी वेतन का लाभ पा रहा है जबकि वह किसी निजी संस्था में हर दिन कार्यरत है, यह झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ा सवाल है।
झारखंड क्रिकेट की गंदगी साफ करने के लिए पहले झारखंड पुलिस के उन लोगों पर जांच और कार्रवाई जरूरी है, जो सरकार से वेतन लेने के बाद भी क्रिकेट की राजनीति में अधिक ध्यान दे रहे हैं। इन अधिकारियों को संरक्षण मिलने के पीछे दरअसल किसका हाथ है, यह अब बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है क्योंकि हर स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें अब आम होने लगी हैं।