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लोग कहते हैं कि बस भाड़ा नहीं तो वेतन कम लो

राष्ट्रीय खबर

बेंगलुरुः अब से आपको काम पर आने के लिए बस के किराये की जरूरत नहीं पड़ेगी तो वेतन तदनुसार कम होना चाहिए। ऐसा कई लोगों का दावा है। उन्होंने अपने कार्यस्थल पर वेतन में कटौती की मांग नहीं की। लेकिन अपने घर वालों के मामले में उनका बयान अलग है। सरकारी योजना द्वारा महिलाओं के लिए किराया ख़त्म करने के बाद कई परिवारों ने नौकरानियों के वेतन में कटौती के कदम उठाए हैं।

उनका तर्क एक ही है वेतन का जो हिस्सा आने-जाने में बस किराये के रूप में खर्च हो जाता था, उसकी अब जरूरत नहीं रही। इसलिए ये लोग वह पैसा देने को तैयार नहीं हैं। इस शहर की घरेलू नौकरानियों का दावा है कि उन्हें बेंगलुरु के कई परिवारों में ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक महिला की पोस्ट से यह घटना सामने आई।

दरअसल, महिलाएं और ट्रांसजेंडर अब सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा कर सकते हैं। हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया है। चुनावी वादे के मुताबिक नवगठित सिद्धारमैया सरकार ने राज्य में महिला आवास को पूरी तरह खत्म कर दिया है। शक्ति नाम की यह सेवा कर्नाटक के विभिन्न जिलों में शुरू की गई है।

सरकार ने घोषणा की थी कि इस योजना से हर दिन राज्य की 41.8 लाख महिलाओं को फायदा होगा। लेकिन फायदे के अलावा किसी ने नहीं सोचा था कि इस प्रोजेक्ट से लड़कियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन बिल्कुल वैसा ही हुआ। हाल ही में मानसी नाम की महिला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि वह बेंगलुरु के एक संभ्रांत आवास की रहने वाली है।

सच कहें तो पूरे देश के मानचित्र पर कर्नाटक का यह जिला पहले से ही बेहद महंगे और संभ्रांत शहर के रूप में जाना जाता है। मानसी ने कहा, लेकिन कई परिवार आवास के निलंबन के बाद गृहस्वामी के वेतन को कम करने का अवसर तलाश रहे हैं। ऐसे देश में जहां घरेलू कामगारों की मज़दूरी पहले से ही काफी कम है, उन्होंने इस घटना को क्रूरता माना। वहीं इस मुद्दे पर नेटिजनों ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए अपना गुस्सा जाहिर किया है।

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