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गुवाहाटीः असम के शोणितपुर जिले में सोमवार तड़के भारत के सबसे बुजुर्ग एशियाई हाथी की मौत हुई। हाथी का नाम बिजुली प्रसाद है। उसकी देखभाल करने वालों के मुताबिक उम्र जनित कारणों से ही उसकी मौत हुई है। आम तौर पर एशियाई हाथी 62 से 65 साल तक जिंदा रहते हैं। यहां पर बहुत अच्छी देखभाल की वजह से वह इतने दिनों तक जीवित रही।
वैसे अच्छी देखभाल की वजह से ऐसे एशियाई हाथियों के अस्सी साल तक जीवित रहने का पूर्व रिकार्ड भी है। मिली जानकारी के मुताबिक द विलियमसन मेजर ग्रुप के बेहाली टी एस्टेट में सोमवार दोपहर साढ़े तीन बजे हाथी की मौत हो गई। बिजुली की मौत से चाय बागान श्रमिकों पर शोक छा गया। बिजुली को आखिरी बार देखने के लिए स्थानीय लोग भी उमड़ पड़े।
चाय बागान के एक अधिकारी ने कहा, बिजुली विलियमसन मेजर ग्रुप का गौरव था। जब बिजुली एक शावक था तब उसे बरगांग टी एस्टेट में लाया गया था। बाद में उन्हें बेहाली टी एस्टेट भेज दिया गया। पद्मश्री से सम्मानित हाथी के डॉक्टर कुशल कोनार शर्मा ने बताया, बिजुली देश का सबसे बूढ़ा हाथी है। करीब 8-10 साल पहले उनके सारे दांत टूट गये थे, जिस कारण वह अपने दांतों का उपयोग कर कुछ खा नहीं सकता था।
इसे देखकर विशेषज्ञों ने उसके भोजन में तब्दीली कर दी थी। उसका इलाज चल रहा था। उसे भोजन में चावल, सोयाबीन उबालकर खिलाया जाता था। इस भोजन के जरिए वह जीवित रहा। चाय बागान के एक अधिकारी ने बताया कि हाथी को हर दिन करीब 25 किलो खाना दिया जाता था। उसे एक ब्रिटिश दल अपने साथ ले आया था। बतौर उपहार यहां लाये जाने के बाद से ही वह लगातार असम में ही रहा। अंतिम सालों में वहां के लोग उसका खास ख्याल रखा करते थे और वह हमेशा ही किसी न किसी की देखभाल की नजर में रहता था।