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असम भाजपा की अंदरूनी लड़ाई तेज हो गई है

परिसीमन को लेकर विवाद बढ़ा, पूर्व रेल मंत्री राजेन गोहेन ने दिया इस्तीफा

  • सीएम विश्व सरमा पर गंभीर आरोप लगाया

  • कहा बदरुद्दीन अजमल से मिले हुए हैं हिमंता

  • परिसीमन में नौगांव को बदला गया क्यों

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटीः असम के डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के भाजपा का मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा में अंदरूनी लड़ाई शुरू हो गई है। अब यह लड़ाई और तेज हो गई है। यह भाजपा के पुराने नेताओं- कार्यकर्ताओं और नए भाजपा नेताओं- कार्यकर्ताओं के बीच की लड़ाई है। मुख्यमंत्री शर्मा ने उस नेता को महत्व नहीं दिया है जो अभी भी पुरानी भाजपा में है। इसी वजह से तमाम पुराने नेता नाराज हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है।

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री शर्मा के साथ आए कांग्रेस से आए सभी नेताओं को मंत्री दिया गया है, लेकिन भाजपा के किसी भी पुराने नेता को मंत्री पद नहीं दिया गया है।कांग्रेस से आए भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा भाजपा पार्टी के पुराने नेता अपना महत्व खो चुके हैं। नतीजतन, पुराने भाजपा नेताओं ने कोई ध्यान नहीं दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी के सदस्य दो भागों में विभाजित हैं।

दूसरी ओर,असम खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद, भाजपा नेता, पूर्व रेल मंत्री राजेन गोहेन ने राष्ट्रीय खबर से बातचीत के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाया।गोहेन ने शुक्रवार को इस्तीफा नगांव (अब ऑर्गोंग) लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन के विरोध में दिया था, जिसका वे चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री गोहेन ने कहा कि वह नौगांव सीट के परिसीमन के पीछे के तर्क को समझने में विफल रहे, और सीएम ने यह लोकसभा सीट (अल्पसंख्यक नेता) बदरुद्दीन अजमल को क्यों दी है और दोनों के बीच क्या समझौता है, यह समझ से परे है।असम में परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट सामने आने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है।

नगांव संसदीय क्षेत्र के परिसीमन से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजेन गोहेन ने शुक्रवार को असम असम खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। बता दें, परिसीमन के बाद नगांव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के कुछ हिस्सों को नवगठित काजीरंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल किया गया।गोहेन 1999 से मध्य असम के नगांव निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और 2014 तक लगातार चार बार चुनाव जीते। उन्होंने कहा कि परिसीमन के बाद नगांव संसदीय क्षेत्र अब अल्पसंख्यक बहुल सीट बन गई है। उन्होंने असम के मूल निवासियों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व और राज्य सरकार पर भी सवाल उठाए।

इससे पहले, परिसीमन के विरोध में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) के वरिष्ठ नेता और आमगुरी के विधायक प्रदीप हजारिका ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वर्षों तक शिवसागर जिले के आमगुरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले हजारिका ने मसौदा प्रकाशित होने के एक दिन बाद एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।

साथ ही स्थानीय लोगों ने भी अमगुरी निर्वाचन क्षेत्र को खत्म करने का विरोध किया था।बीते दिनों राष्ट्रपति ने असम के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी परिसीमन अधिसूचना को मंजूरी दे दी थी। असम के परिसीमन पर निर्वाचन आयोग का अंतिम आदेश बुधवार से प्रभावी हो गया है। आयोग ने 11 अगस्त को राज्य में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें विधानसभा सीटों की संख्या 126 और संसदीय सीटों की संख्या 14 रखी गई है। हालांकि, इनकी संख्या पहले भी इतनी ही थी। इमें 19 विधानसभा क्षेत्रों और एक संसदीय क्षेत्र के नाम को भी संशोधित किया था।

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