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आदित्य वर्मा ने जेएससीए की गड़बड़ियों का विरोध किया

रांचीः आईपीएल में सट्टेबाजी की पोल खोलने वाले पूर्व क्रिकेटर आदित्य वर्मा ने झारखंड क्रिकेट एसोसियेशन में हो रही गड़बड़ियों की तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने लिखा है किमाननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा गठित जस्टिस लोढ़ा कमिटी की वो सिफ़ारिशें जिसको माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 9 अगस्त 2018 को अपने ऐतिहासिक फैसले में संविधान का प्रारुप   लिया था।

उस आदेश की जिस प्रकार से धज्जियां स्वर्गीय अमिताभ चौधरी के रहमो-करम पर क्रिकेट संघ के फंड से  प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले, 2014 के लोकसभा चुनाव में जिन पर ईवीएम मशीन को छिनने का आरोप तत्कालीन सीईओ और सदर थाना प्रभारी ने लगाया था वैसे अभियुक्त स्वयंभू सचिव देवाशीष चक्रवर्ती ने संविधान की धज्जियां उड़ाकर रख दी है।

अब समय आ गया है झारखंड राज्य के माननीय युवा मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी इस पर तत्काल संज्ञान लें। बीसीसीआई से प्रत्येक वर्ष राज्य के क्रिकेट के विकास के लिए प्राप्त होने वाली करोड़ों रुपए की सब्सिडी और पिछले महीने ही 37 करोड़ 70 लाख की एडहॉक एडवांस की राशि   झारखंड राज्य के गरीब क्रिकेट खिलाड़ियों के विकास के लिए है।

उस पैसे का बंदरबांट जिस प्रकार जेएससीए के वर्तमान पदाधिकारीगण कर रहे हैं यह बहुत  ही शर्मनाक और निंदनीय है। मेरी कर्मभूमि  झारखंड राज्य के जमशेदपुर   रही है जो क्रिकेट संघ का मुख्यालय है। इसलिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिकाकर्ता होने के नाते मुझे भी  कभी-कभी बहुत ही दुःख होता है क्योंकि  मेरी ही याचिका 4235-2014 पर लोढ़ा  कमिटी का गठन हुआ था और बीसीसीआई के मान्यता प्राप्त राज्य क्रिकेट संघों में तमाम बदलाव हुए थे।

मुझे अफसोस इस बात का है कि जिस झारखंड राज्य क्रिकेट संघ को भारत के सफलतम कप्तान और खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी के नाम से जाना जाता है आज उस राज्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। अब समय आ गया है झारखंड राज्य के वर्तमान/ पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों  को संगठित होकर इन धनलोभी पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने ओर राज्य क्रिकेट संघ सुचारू रूप से कैसे संचालित हो?

यूपी और बिहार में भी क्रिकेट टीमों की संख्या बढ़े

पूर्व क्रिकेटर आदित्य वर्मा ने कहा कि अब समय आ गया है यूपी और बिहार में आबादी के अनुपात में और क्रिकेट टीमों को बीसीसीआई मान्यता दे।

उनके मुताबिक 26 करोड़ यूपी के जनसंख्या 13 करोड़ बिहार की जनसंख्या कुल 39 करोड़ है।

दूसरी तरफ बीसीसीआई की मनमानी है कि इन दोनों राज्यों को मिलाकर केवल दो क्रिकेट टीमें राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेती हैं।

यह बिहार और यूपी के खिलाड़ियों के साथ भेदभाव है। गुजरात से तीन क्रिकेट टीमें भाग लेती हैं जबकि गुजरात की कुल आबादी 7 करोड़ के आसपास है। 2024 के चुनाव में यह मुद्दा उठना चाहिए आज की तिथि में युवाओं का सबसे प्यारा खेल क्रिकेट है। इसलिए अधिक आबादी वाले राज्यों को भी गुजरात की अनुपात में ही अधिक टीमों को तैयार करने का अनुमति दी जानी चाहिए।

उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, वाराणसी के सांसद हिंदुस्तान के 140 करोड़ देशवासियों के सबसे प्रिय परम आदरणीय हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से मेरा यह विशेष आग्रह है। देश के सबसे प्यार खेल क्रिकेट में ऐसा लग रहा है की बिहार और यूपी के खिलाड़ियों के साथ थोड़ा भेदभाव भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के द्वारा हो रहा है।

आपसे कहना है प्रधानमंत्री जी आपके संसदीय क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच  के लिए बेहतरीन क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण हो रहा है लेकिन मेरा एक छोटा सा सुझाव है बीसीसीआई को निर्देश दिया जाए कि यूपी और बिहार के जनसंख्या के हिसाब से राज्य क्रिकेट टीम को जो अभी मात्र दो है उसे बढ़ाकर कम से कम 6 किया जाए यह खिलाड़ियों के लिए दोनों के ओर से एक अच्छी सौगात होगी।

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