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अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में रहे भट्ठी
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अगले दावेदार पर भी होने लगी है सुगबुगाहट
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बिहार के मिजाज से मेल नहीं बना सके वह
दीपक नौरंगी
पटनाः बिहार में सुशासन की सरकार में भले ही कई आईपीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई हुई है लेकिन आईएएस और आईपीएस में एक चर्चा काफी जोर पकड़ने लगी आने वाले कुछ दिनों के अंदर डीजीपी आर एस भट्टी बिहार में अपनी सेवा नहीं देंगे और वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं। यदि चर्चाओं भरोसा करें तो तो आने वाले दिनों में सीआईएसफ के डी जी शील वर्धन सिंह इस अगस्त महीने में रिटायर कर रहे हैं और यह चर्चाएं होने लगी है कि सीआईएसफ का अगला डीजी आर एस भट्टी को बनाया जा सकता है। यदि सही में भट्टी साहब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति जाते हैं तो अगले डीजीपी के तौर पर आलोक राज की पूरी संभावना बनती है जो फिलहाल निगरानी के डी जी पद पर है।
आने वाले दिनों में यदि बिहार के डीजीपी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं तो यह बात साफ हो जाएगी कि अपने सिद्धांतों के आगे डीजीपी आरएस भट्टी किसी प्रकार का समझौता करना नहीं चाहते हैं। 19 दिसंबर 2022 को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन में अपना योगदान दिया था। उसके बाद सरदार पटेल भवन में कई ऐसी करें नियम और कानून बना दिए जिससे कि पूरे बिहार के पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी ने आर एस भट्टी की कार्यशैली को लेकर चर्चाएं होने लगी है।
यदि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की चर्चा पर भरोसा करें तो आईएएस अधिकारी की एक लॉबी यह चाहती है कि वर्तमान डीजीपी आर एस भट्टी वापस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति लौट जाए। यदि वास्तव में ऐसा होता है और वर्तमान डीजीपी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति लौट जाते हैं तो कहीं ना कहीं वर्तमान सरकार नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल उठना लाजमी है बिहार के करीब 30 वर्षों के बाद कोई ऐसा आईपीएस अधिकारी डीजीपी के पद पर है जो किसी आईएएस अधिकारी के आगे पीछे नहीं कर रहा है।
जिसके कारण आईपीएस अधिकारी की वर्दी की पद की जो गरिमा है वह बनी हुई है। वर्तमान डीजीपी की कार्यशैली को लेकर कई तरह के सवाल तो खड़े हुए हैं लेकिन यह तो साफ तौर पर माना जा सकता है कि आर एस भट्टी की छवि साफ-सुथरी मानी जाती है। एक कड़क आईपीएस अधिकारी के रूप में उनकी एक अलग पहचान बना ली है और मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर की हत्या के मामले में जिस प्रकार से बिहार पुलिस ने एक्शन लिया
इससे साफ तौर पर यह दिखता है कि पुलिस की कार्यशैली करने का तरीका बेहतर और अच्छा हो रहा है। डीजीपी की सात महीनों के कार्यकाल में कहीं अहम फैसले लिए हैं और त्यौहार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ है। दूसरी तरफ निगरानी की जिम्मेदारी संभालने के बाद आलोक राज ने भी विभाग को सक्रिय किया है। इस वजह से कई स्थानों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी की कार्रवाई में आयी तेजी से खास तौर पर भ्रष्ट अफसरों में एक अलग खौफ है। वह बिहार के हर किस्म के मिजाज को भी अच्छी तरह समझते हैं।