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मंत्री बने विधायकों के खिलाफ कार्रवाई प्रारंभ
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चुनाव आयोग को भी शरद पवार ने पत्र लिखा
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जयंत पाटिल ने कहा चंद विधायक पार्टी नहीं है
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः चुपचाप शपथग्रहण और बहुमत की दावेदारी के बीच कुछ विधायकों और सांसदों की राय सामने आ गयी है। इससे संदेह उत्पन्न हो गया है कि पिछली बार की तरह शायद इस बार भी अजीत पवार बहुमत के मामले में पटखनी खा सकते हैं। वैसे शरद पवार के तेवरों से यह भी साफ हो गया है कि बगावत करने वाले नेताओं को वह फिलहाल माफ करने की मूड में भी नहीं है।
एनसीपी विधायकों का बहुमत किस तरफ है, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। अजीत पवार के घर पर हुई बैठक में भी दल विभाजन के लिए आवश्यक 36 विधायक नहीं जुटे थे। इस बीच एनसीपी ने बागी अजित पवार को विधायक पद से अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की है। शरद पवार की पार्टी पहले ही अजित और 9 एनसीपी विधायकों के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को याचिका दे चुकी है।
महाराष्ट्र राकांपा के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि भले ही कुछ विधायक दलबदल कर गए हैं, लेकिन पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन अभी भी शरद पवार के प्रति है। संयोगवश, अजित पवार ने रविवार दोपहर अचानक महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
इसके बाद से राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। जयंत पाटिल ने कहा, एक विधायक ने हमारी पार्टी अनुशासन समिति के पास शिकायत दर्ज कराई है। उनकी शिकायत पर गौर करने के बाद 9 विधायकों को पद से बर्खास्त करने का अनुरोध विधानसभा अध्यक्ष से किया गया है।
स्पीकर से इस मामले पर कल विधानसभा में जल्द से जल्द चर्चा कराने का अनुरोध किया गया है। साथ ही एनसीपी ने भी चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी ने साफ किया है कि हर स्तर पर नेता और कार्यकर्ता शरद पवार के साथ हैं, उनके बागी भतीजे के साथ नहीं। नाराज विधायकों को जयंत ने अकेले ही साध लिया है।
उनके मुताबिक, सिर्फ 9 विधायकों से कोई पार्टी नहीं बन सकती। उन्होंने पार्टी प्रमुख की अनुमति के बिना मंत्री पद की शपथ ली। इसलिए पार्टी के नियमों के मुताबिक उन्हें पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। लेकिन पाटिल अभी भी विधायकों को लेकर आशावादी हैं। उन्होंने कहा, विधायकों ने किस पार्टी का विरोध किया है, यह अभी तक साबित नहीं हुआ है।
कई लोग अभी भी शरद पवार के संपर्क में हैं। एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले को बड़े भाई के इस व्यवहार पर बेहद दुख है। हालांकि उनका मानना है कि अजित के इस काम में विपक्षी एकता नहीं टूटेगी। सुप्रिया ने कहा, ‘मेरे भाई के साथ मेरे मतभेद हो सकते हैं। लेकिन एक बहन होने के नाते मैं उससे कभी नहीं लड़ सकती। सुप्रिया के मुताबिक, लोकतंत्र में हर किसी की अपनी-अपनी मान्यताएं और विचारधाराएं हो सकती हैं।