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प्यार बांटते चलो प्यार बांटते.. .. ..

छोटी सी दिलासा, छोटा सा भरोसा भी बहुत ढांढस बंधा जाता है। मणिपुर में राहुल गांधी के घूमने और लोगों से मिलने का वीडियो देखकर तो यही पता चलता है। यहां से जो सवाल जेहन में है, वह यह है कि नफरती राजनीति का जो बीज बोया गया है, वह आखिर बराक ओबामा की बातों को सच तो साबित नहीं कर देगा।

मणिपुर की ही बात करें तो जातिगत विभाजन इतना असरदार है कि कुकी अपने लिए भारत के अंदर अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ एक चर्चा यह भी होने लगी है कि अब नागा और कुकी एवं अन्य आदिवासी समुदाय मिलकर एक ग्रेटर नागालैंड की मांग करने जा रहे हैं। आखिर हर समाज को तोड़ने का क्या नतीजा हो सकता है, क्या इसका एहसास उनलोगों को नहीं है जो हर चुनाव में इसी मतभेद को सुलगाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते हैं। सिर्फ अपनी सोच के मुताबिक प्रयोगों की वजह से मणिपुर का वह हाल हो गया है जैसा देश के किसी दूसरे राज्य ने इससे पहले कभी अनुभव नहीं किया था।

केंद्र और राज्य सरकार का तेवर साफ है कि वह इस आग को जलाये रखना चाहती है और उसका चुनावी लाभ होता हुआ उसे दिख रहा है। लेकिन भइया पड़ोस में आग लगी हो तो अपना घर सुरक्षित रहेगा, यह सोच मुर्खतापूर्ण है। आग की लपटें हमारी तरफ भी आ सकती है। चुनाव आते जाते रहेंगे और नेता भी आते जाते रहेंगे पर देश अपनी जगह पर बना रहे, इसकी चिंता तो हर किसी को होनी चाहिए। अखंड भारत का चित्र नये संसद में लगाते हो पर यह बात क्यों समझ में नहीं आती कि अखंड भारत खंड खंड क्यों हो गया था। हम इतिहास इसलिए भी पढ़ते हैं ताकि उन गलतियों को नहीं दोहराये। यहां तो उल्टी गंगा बहाने की तैयारी हो रही है।

इसी बात पर पुरानी फिल्म हम सब उस्ताद हैं का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था असद भोपाली ने और संगीत में ढाला था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।

हो प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
क्या हिन्दू क्या मुसलमान, हम सब हैं भाई भाई
प्यार बांटते चलो (हम्म हम्म), प्यार बांटते चलो (हम्म हम्म)
हे प्यार बांटते चलो (हम्म हम्म), प्यार बांटते चलो (हम्म हम्म)

प्यार है ज़िन्दगी की निशानी, यह बुजुर्गो का कहना है यारो
एक ही साज़ के तार हैं सब, हमको मिल जुल के रहना है यारो
हे प्यार है ज़िन्दगी की निशानी, यह बुजुर्गो का कहना है यारो
एक ही साज़ के तार हैं सब, हमको मिल जुल के रहना है यारो
हे सोचो कल क्या थे, देखो अब क्या हो
तुमको ले ना डूबे, कही अपनी यह लड़ाई

प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो

राम यह है तो रहमान तुम हो, यह है करतार तो जॉन तुम हो
नाम कुछ हो मगर यह ना भूलो, सब से पहले तोह इंसान तुम हो-2
हे नन्हें शहजादों कल के नेताओ, तुम से हमने क्या क्या
उम्मीदें हैं लगायी

प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो प्यार बांटते चलो

यह अजन्ता है वह ताज देखो, हर जगह प्यार की है कहानी
प्यार सदियों से अब तक अमर है, और हर चीज है आनी जानी-2
हे जब तक यह दुनिया है, तब तक यह ज़िंदा है
सब ने सर झुकाया जब इनकी याद आयी

प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो

क्या हिन्दू क्या मुसलमान, हम सब हैं भाई भाई
प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो
हे प्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो

चुनाव के पिटारे से फिर से समान नागरिक संहिता का दांव निकला है। भइया इतने दिनों तक क्या कर रहे थे। चुनाव आया तो इस मुद्दे की याद आयी। यार लोग इतना कुछ करने के बाद अगर टमाटर के दाम ही कम करा देते तो बात समझ में आती। वइसे मुझे अइसी फिलिंग हो रही है कि आने वाले दिनों में गैस और पेट्रोल के दाम भी किसी न किसी बहाने कम हो सकते हैं।

लगता है कि एकाध स्टेट में फिर से पटखनी मिल गयी तो मैंगो मैन की तो लॉटरी ही खुल जाएगी। मौनी बाबा को ना चाहते हुए भी किसान आंदोलन के बाद बोलना पड़ा था। अब फिर से मौन साधना में लीन है। मणिपुर पर तो दो शब्द बोल देते। वहां के लोगों को दिलासा मिल जाता। लेकिन बेचारे करें तो क्या करें।

यह अपोजिशन वाले एकजुट हो रहे हैं तो अंदर से अगले चुनाव के परिणाम की चिंता सताने लगी है। पता नहीं अगर हार गये तो कौन कौन सी दबी और छिपी हुई फाइल फिर से खुल जाएगी, जिससे देश की सोच ही शायद बदल जाए। पार्टी के अंदर भी चुप्पी साधे बैठे पहलवान कम नहीं हैं। सिचुयेशन ठीक हुआ तो अचानक उठकर पटखनी मार देंगे।

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