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हेलीकॉप्टर से शरणार्थी शिविर पहुंचे राहुल गांधी

  • सुबह दिल्ली से चलकर इंफाल पहुंचे थे

  • दोनों समुदायों से सीधी बातचीत करेंगे वह

  • राज्य सरकार पर कई संगठनों का अविश्वास

अगरतलाः कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अब मणिपुर में भी पुलिस के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। वह दिल्ली से चलकर मणिपुर की हिंसा से प्रभावित लोगों से सीधे मिलना चाहते थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित मणिपुर की पुलिस ने राहुल के काफिले को रोका। एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, इम्फाल से 20-25 किमी दूर चुराचांदपुर जिले के बिष्णुपुर इलाके में राहुलजी के काफिले को रोक दिया गया है।

पुलिस ने रोके जाने के बाद भी इस कांग्रेसी दल को यह नहीं बताया कि उन्हें यहां क्यों रोका गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार को बिष्णुपुर में घंटों फंसे रहने के बाद इंफाल लौट आये और यहां से हेलीकॉप्टर से चुराचंदपुर गये। वैसे अखिल भारतीय स्तर का कोई बड़ा नेता पहली बार वास्तविक संघर्ष के इलाकों तक पहुंच रहा है, इसे बड़ी बात माना जा रहा है।

राहुल ने गुरुवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे दिल्ली से मणिपुर की राजधानी इंफाल के लिए उड़ान भरी। करीब 11:30 बजे इंफाल एयरपोर्ट पहुंचे। सांप्रदायिक हिंसा से ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में उनके कई दो दिवसीय कार्यक्रम हैं। लेकिन शुरुआत में उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ा।

संयोग से, पिछले दिनों भाजपा शासित मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिवारों से मिलने के दौरान उन्हें शिवराज सिंह चौहान सरकार की पुलिस ने रोक दिया था। राहुल जब उत्तर प्रदेश के हाथौर में पीड़ित दलित लड़की के परिवार से मिलने जा रहे थे तो योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने उनका रास्ता रोक दिया।

कांग्रेस के एक सूत्र के मुताबिक, राहुल का गुरुवार को लमका (चुराचांदपुर), बिष्णुपुर समेत विभिन्न इलाकों में कई शरणार्थी शिविरों का दौरा करने का कार्यक्रम है। रात में वह मैरांग में रुकेंगे। राहुल का शुक्रवार को राजधानी इंफाल में विभिन्न शरणार्थी शिविरों का दौरा करने का कार्यक्रम है। वह आपस में लड़ रहे मैतेई समुदाय और कुकी और नागा लोगों के नागरिक समाज के साथ भी बैठकें करेंगे। दिल्ली लौटने से पहले वह कांग्रेस भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं।

इस बीच मणिपुर पैट्रियटिक पार्टी ने बुधवार को राहुल गांधी को एक खुला पत्र लिखकर उनके दौरे का विरोध किया। मैतेई समुदाय से प्रभावित भाजपा से जुड़े संगठन के मुताबिक, मणिपुर में यह समस्या असल में कांग्रेस काल में पैदा हुई थी। यह कांग्रेस सरकार ही थी जिसने 1949 में स्वतंत्र मणिपुर को जबरन भारत में शामिल किया था।

मणिपुर के लोग विलय को स्वीकार नहीं कर सके, जिसके कारण राज्य में सशस्त्र संघर्ष का एक लंबा इतिहास शुरू हो गया। संगठन का दावा है कि कांग्रेस ने हमेशा वोट बैंक के फायदे के लिए कुकी लोगों का इस्तेमाल किया है और एक अलग कुकीलैंड का सपना देखा है। उसी के कारण आज कुकी मैतियों को पहाड़ों से खदेड़ कर अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।

मैतेई और कुकी समुदाय के विभिन्न संगठन पहले ही सार्वजनिक रूप से भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में अपना अविश्वास व्यक्त कर चुके हैं। कुकियों ने भी अलग राज्य की मांग उठाई है। गौरतलब है कि भाजपा की सहयोगी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के प्रमुख और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने इस मांग को हवा दी थी।

संयोग से, हिंसा के कारण मणिपुर के लगभग 12 हजार जो-कुकिस ने अब मिजोरम में शरण ली है। मणिपुर के कुकी प्रभावित इलाकों में वृहद मिजोरम की मांग को लेकर दीवार लेखन, पोस्टर। मणिपुर के 10 कुकी विधायकों ने एकजुट होकर केंद्र से अलग प्रशासन की मांग की। इनमें सात भाजपा विधायक भी शामिल हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने राजनीतिक रूप से घिरने के बाद राहुल की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाया है।

बाद में विष्णुपुर के एसपी हेसनाम बलराम सिंह ने बताया कि जमीनी हालात को देखते हुए हमने राहुल गांधी को आगे बढ़ने से रोका और उन्हें हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर जाने की सलाह दी। जिस हाईवे से राहुल गांधी जा रहे हैं, वहां ग्रेनेड हमले की आशंका थी। उनकी सुरक्षा और संरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने उन्हें अनुमति नहीं दी है।

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