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इंफाल में राज्य मंत्री के आवास और कई घरों में आग लगायी

  • गुरुवार दोपहर बात एक बार फिर हिंसा भड़की

  • इंटरनेट सेवाएं 20 जून तक निलंबित रहेंगी

  • टीएमसी का हिमंता के उग्रवादी संबंध पर सवाल

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: मणिपुर में स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। ताजा हिंसा में कुछ असामाजिक तत्वों ने बुधवार रात इंफाल पश्चिम के लंफेल इलाके में मंत्री नेमचा किपगेन के घर में आग लगा दी। सूत्रों के मुताबिक, घटना बुधवार रात करीब 8.30 बजे की बताई जा रही है। अभी तक मंत्री घर पर थे जब घर में आग लगाई गई।

उसके बाद मणिपुर की राजधानी इंफाल में सुरक्षा बलों और भीड़ के बीच आज दोपहर झड़प हुई है। पश्चिम इंफाल में राज्य मंत्री के आधिकारिक आवास और कई घरों में आग लगा दी गई  है। खमेनलोक इलाके में हुए हमले में 12 लोगों की मौत हो गई थी और 14 अन्य घायल हो गए थे, जिसके एक दिन बाद गुरुवार दोपहर भीड़ ने राज्य मंत्री के आधिकारिक आवास और कम से कम दो घरों में आग लगा दी है।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की लेकिन उन्हें बल प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा और इंफाल के न्यू चेकन में भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। यह तब हुआ जब सेना और असम राइफल्स ने हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर में हिंसा में हालिया वृद्धि के बाद अपने “एरिया डोमिनेशन” अभियान को तेज कर दिया।

सेना के एक ट्वीट में कहा गया है कि हाल ही में हिंसा में वृद्धि के बाद सेना और असम राइफल्स द्वारा एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन बढ़ाए जा रहे हैं।इसके चलते हुई मुठभेड़ में दोनों पक्षों के लोग हताहत व घायल हुए हैं। तीन व्यक्ति लापता भी बताए जा रहे हैं। यह क्षेत्र मेइती-बहुल इंफाल ईस्ट जिला और आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले की सीमाओं से लगा हुआ है।

इस बीच इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट में जिला प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील की दिए जाने की अवधि को घटाते हुए उसे सुबह पांच बजे से शाम छह बजे की बजाय सुबह पांच से सुबह नौ बजे तक कर दिया है। हिंसा प्रभावित मणिपुर के 16 जिलों में से 11 में अब भी कर्फ्यू लगा हुआ है, जबकि पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। भारतीय सेना की स्पीयर कोर द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया है कि सीमांत क्षेत्रों और ऊंचे इलाकों में लंबी अवधि की स्व-निहित टुकड़ियों द्वारा वर्चस्व चलाया जा रहा है।

दूसरी ओर, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के असम प्रमुख रिपुन बोरा ने 15 जून को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और भाजपा नेता राम माधव के साथ  मणिपुर आतंकवादी संगठन के कथित संबंधों की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता के लिए अपनी नाराजगी व्यक्त की।

बोरा भारत सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं क्योंकि वह हर समय विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करती रही है। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत सरकार 2017 में मणिपुर चुनाव में कुकी उग्रवादियों के साथ असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा के शामिल होने के आरोपों पर चुप क्यों है?

बोरा ने आरोपों की एनआईए जांच और एनएसए अधिनियम के तहत सरमा की गिरफ्तारी की मांग की। इस बीच, उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के उत्तर-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के संयोजक होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध होने के नाते, सरमा को अब उस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए।

मणिपुर में मेइताई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के दौरान कुकी उग्रवादी संगठनों में से एक के नेता द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 2019 का एक पत्र सामने आया था, जिसमें दावा किया गया था कि भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा और 2017 में उत्तर पूर्व के प्रभारी राम माधव ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कुकी उग्रवादी संगठनों की मदद ली थी। यह पत्र 8 जून, 2023 को एनआईए अदालत में कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के अध्यक्ष एसएस हाओकिप द्वारा दायर एक हलफनामे के साथ संलग्न किया गया था।

पुलिस ने बृहस्पतिवार को बताया कि बुधवार को हुई हिंसा के दौरान संदिग्ध उग्रवादियों ने लोगों के समूह पर गोली चलाई। इसमें 22 से अधिक व्यक्ति घायल हो गया। उन्होंने कहा कि लोगों के समूह में ज्यादातर वे लोग थे जो हाल में चुराचांदपुर में हुई जातीय हिंसा के दौरान विस्थापित हुए थे और बिष्णुपुर के मोइरांग में एक राहत शिविर में रह रहे थे।

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