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लगभग हर विरोधी दल ने किया वहिष्कार का एलान

  • मोहुआ मोइत्रा ने कहा यह पीएम का निजी आवास नहीं

  • दलित और आदिवासी भाजपा के लिए शो पीस बने हैं

  • ओबैसी ने लोकसभा अध्यक्ष ने उदघाटन की बात कही

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्ली: यहां बने नये संसद भवन के उदघाटन पर विरोधी दल अड़ गये हैं। राष्ट्रपति के हाथों इसका उदघाटन नहीं होने को एक मुद्दा बनाते हुए इनलोगों ने समारोह में भाग नहीं लेने का एलान कर दिया है। इस मुद्दे पर सबसे पहले राहुल गांधी ने सवाल उठाया था।

उसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने भी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को नहीं बुलाने पर आपत्ति जतायी। श्री खडगे ने यह तक कह दिया कि भाजपा के लिए दलित और आदिवासी क्या सिर्फ शो पीस की चीज बनकर रह गये हैं। अब राहुल गांधी ने फिर से इसी बात पर निशाना साधा है।

इससे पहले ही कई अन्य राजनीतिक दल समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाये जाने का विरोध करते हुए समारोह का वहिष्कार करने का एलान कर चुके हैं। श्री गांधी ने ट्वीट किया राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना, यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।

संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, संसद में लोकतंत्र की शहनाई बजनी चाहिए, लेकिन जब से स्वघोषित विश्वगुरु पधारे हैं एकतंत्र की तोप चलाई जा रही है। इमारत नहीं, नीयत बदलो।

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तथा संचार विभाग की आंतरिक प्रभारी विनीत पुनिया ने कहा, नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को न बुलाना सिर्फ उनका ही नहीं, देश के संविधान व हर नागरिक का अपमान है।

आत्ममुग्धता की ऐसी पराकाष्ठा एक गलत परंपरा की शुरुआत है, क्या इसका एहसास कराने का साहस किसी भी मंत्री के पास नहीं है। इससे पहले विपक्ष के 19 दलों ने संसद भवन के निर्माण में विपक्ष तथा जनता की राय नहीं लेने और राष्ट्रपति को लोकार्पण समारोह से दूर रखने को लोकतंत्र का अपमान बताते हुए उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की सामूहिक घोषणा की।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी समारोह का बहिष्कार करने की बात कही है। उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह पीएम मोदी का गृह प्रवेश समारोह नहीं है।  महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘संसदीय लोकतंत्र के वरीयता क्रम के अनुसार राष्ट्रपति पहले, उपराष्ट्रपति दूसरे और प्रधानमंत्री तीसरे स्थान पर आते हैं। यह पीएम मोदी का घर नहीं है जो उन्होंने अपने पैसे से बनाया है। आॅल इंडिया तृणमूल कांग्रेस 28 मई की पार्टी में शामिल नहीं होगी। भाजपा को शुभकामनाएं।

इन बयानों से अलग हटकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नई संसद की जरूरत है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि मौजूदा संसद भवन को फायर डिपार्टमेंट की एनओसी ही नहीं है।

उन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसका एजेंडा एक राष्ट्र, एक चुनाव था। तकरीबन सभी पार्टियां इससे सहमत थीं। हालांकि मैंने और सीताराम येचुरी ने इसका विरोध किया था। मैंने नई लोकसभा बनाने का प्रस्ताव दिया था।

उस वक्त पीएम मुझे पर बहुत नाराज हुए थे। ओवैसी ने कहा कि हमारा बस इस बात पर विरोध है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि थ्योरी ऑफ सेप्रेशन ऑफ पावर संविधान का हिस्सा है। अगर पीएम उद्घाटन करेंगे तो ये संविधान का उल्लंघन होगा।

प्रधानमंत्री को नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए। उन्होंने नाम सुझाते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसका उद्घाटन करवाना चाहिए। अगर उनसे उद्घाटन नहीं कराया जाएग तो हम भी समारोह में शामिल नहीं होंगे।

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