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नीतीश कुमार के चयन पर उठ रह हैं सवाल

  • आरएस भट्ठी को खुद सीएम ने चुना था

  • होटल और धर्मशालाओं की चेकिंग नहीं

  • वरीय अफसरों से दूरी से काम काज प्रभावित

दीपक नौरंगी

पटनाः बिहार राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने आईपीएस आर एस भट्टी  पर बड़ा भरोसा किया लेकिन डीजीपी आर एस भट्टी की कार्यशैली पुलिस हेड क्वार्टर में चर्चा का मुख्य केंद्र बनी रहती है पदभार संभालने के बाद एडीजी स्तर के पदाधिकारियों को मिलने के लिए डीजीपी से अनुमति लेनी पड़ती है।

एडीजी स्तर के पदाधिकारी को डीजीपी के कार्यालय के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ा।  भले ही यह चर्चा है कि डीजीपी भट्टी के पूर्व परिचित एक एडीजी जो डीजीपी के कार्यालय में बिना अनुमति के आते और जाते हैं उनको लेकर लगातार गपशप की चर्चाएं होती दिखती है।

डीजीपी ने पदभार संभालने के बाद आईपीएस अधिकारियों की बैठक में एक एडीजी को कहा आपके पास दो विभाग है बताइए कौन सा विभाग रखना चाहते हैं लेकिन वह एडीजी अभी तक अपने दोनों पदों पर है।

बिहार के सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी ने नए डीजीपी भट्टी के पदभार ग्रहण करने के बाद उनसे मिलने की कई बार कोशिश की लेकिन डीजीपी की अनुमति नहीं मिलने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हो पाई जो आईएएस और आईपीएस में चर्चा का मुख्य केंद्र बनी रही।

यूपीएससी ने तीन आईपीएस का नाम भेजा तो मुख्यमंत्री ने भट्टी पर ही क्यों जताया भरोसा। चर्चाओं पर भरोसा करें तो पूर्व डीजीपी एसके सिंघल और भट्टी के बीच बेहतर तालमेल का नतीजा है कि मुख्यमंत्री ने भट्टी पर ही नए डीजीपी के तौर पर अपनी मुहर लगाई।

लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री के निजी प्रधान सचिव दीपक कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। महकमे में डीजीपी में आलोक राज का नाम खूब सुर्खियां बना रहा लेकिन होना कुछ और था। सीनियर आईपीएस अधिकारी 1989 बैच के आलोक राज को बिहार के डीजीपी नहीं बनाए जाने पर पुलिस महकमे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुर्खियों में बने रहे।

यह भी जानना जरूरी है क्योंकि जब से डीजीपी आर एस भट्टी ने अपना पदभार संभाला है तबसे बिहार में जितने भी होटल और धर्मशालाएं हैं वह अब नियमित तौर पर जांच नहीं की जा रही है। पूरे बिहार में पुलिस के द्वारा रोको टोको अभियान चलाया जाता था वह अभियान अब नहीं चलाया जाता है।

डीजीपी आर एस भट्टी सीधे तौर पर वह बिहार की आम जनता और पीड़ित जनता से नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने एक एडीजी स्तर के पदाधिकारी को इस काम में लगा दिया है। सबसे अहम सवाल क्या डीजीपी साहब बिहार के सभी सीनियर एसपी और एसपी के साथ ऑनलाइन बैठक क्यों नहीं कर रहे हैं।

इसका सीधा तौर पर विधि व्यवस्था पर कितना बेहतर प्रभाव पड़ेगा या फिर खराब पड़ेगा, इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विचार करना चाहिए। जब आर एस भट्टी को दिसंबर महीने में मिली तो चर्चा थी कि नए डीजीपी अपने मन के मुताबिक पदाधिकारियों की टीम अपने मन के मुताबिक बनाना चाहते थे लेकिन बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने अभी तक भट्टी के पदभार संभालने के बाद एडीजी स्तर के पदाधिकारियों का तबादला नहीं किया है। भले ही जून के अंतिम या दिसंबर महीने में यह तबादले की चर्चा पुलिस वरीय पदाधिकारियों में होती दिखती है।

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