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ईडी के फांस अब किस पर कसती जाएगी

  • छवि रंजन की गिरफ्तारी से तेवर साफ हैं

  • पूछताछ से आगे की गाड़ी कभी भी बढ़ेगी

  • भाजपा विधायक के शराब कारोबार की चर्चा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः यह जंगल की जानकारी रखने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि अजगर जब किसी शिकार को फांसता है तो उसके दो तरीके होते हैं। यूं तो वह बिना जरूरत के शिकार ही नहीं करता। अगर शिकार मजबूत हुआ तो उसे एक नहीं दो फांस में घेरने के बाद वह खुद सांस लेता है और देखता है कि शिकार को और कसने के चक्कर में वह खतरे में तो नहीं पड़ जाएगा।

अभी झारखंड में ईडी की कार्रवाई के दो फांस पड़ चुके हैं। अब तीसरा फांस लगते ही शिकार का दम घुटने लगेगा, यह प्रकृति का नियम है और अजगर के भोजन करने की तैयारी भी। ईडी ने भी अपने मूल शिकार को दो फांस लगाकर घेर लिया है। शिकार को दम घोंटकर मार डालने के बाद ही यह विशाल सरीसृप धीरे धीरे अपना जबड़ा खोलकर उसे निगल जाता है।

झारखंड की राजनीति के संदर्भ में अगर देखें तो आईएएस अधिकारी छवि रंजन की गिरफ्तारी के बाद यह स्पष्ट हो चला है कि ईडी की जांच की गाड़ी किस दिशा में जा रही है। खतरा सिर्फ अजगर के अचानक खुद के घायल होने का है। यह संदेह इसलिए है क्योंकि छत्तीसगढ़ के एक शराब कारोबारी की गिरफ्तारी के बाद इस तोप का मुंह अचानक पूर्व की सरकार की तरफ भी जा सकता है।

गनीमत है कि जमशेदपुर के विधायक सरयू राय इनदिनों रघुवर दास को छोड़कर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से दो दो हाथ कर रहे हैं। वरना इससे पहले भी ईडी ने अपनी गिरफ्त में हेमंत सोरेन को लेने की कोशिश की थी। उस वक्त सरयू राय ही सरकार के संकट मोचक बने थे और दस्तावेजों से यह सार्वजनिक कर दिया था कि पूर्व की सरकार में भी ऐसी गड़बड़ी और अधिक हुई थी। उसके बाद आत्मघाती गोल से बचने के लिए जांच की दिशा बदल दी गयी।

इस बार शराब कारोबारी को हिरासत में लिये जाते ही भाजपा के एक विधायक का नाम चर्चा में आने लगा है। अगर चर्चा में कही जाने वाली बातें सही हुई तो फिर से जांच की गाड़ी आगे नहीं बढ़ेगी। वैसे इतना तो स्पष्ट होता जा रहा है कि दरअसल प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को इस सरकार के काम काज में इतने छेद मिल रहे हैं कि वह तय नहीं कर पा रही है कि कौन सा मामला पहले निपटाया जाए।

दूसरी तरफ झारखंड के निगरानी विभाग में पहले से जिन मामलों की जांच चल रही है, उसकी जांच की गाड़ी और आगे बढ़ी तो तय है कि भाजपा के लिए फिर से नई परेशानी खड़ी हो जाएगी। दरअसल हाथी उड़ाने से लेकर खनन संबंधी मामलों में पहले से जो साक्ष्य उपलब्ध हैं, उसका अनुमान भाजपा वालों को भी है। लाभ के पद के मामले में अकेले झामुमो ही दोषी नहीं है, यह दस्तावेजी सबूत भी मौजूद है। इसलिए यह देखना रोचक होगा कि अब ईडी की जांच में कौन सा नया आईएएस अधिकारी फंसता है।

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