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असम के लोगों के लिए दिया था कुत्ते का मांस वाला बयान

  • काडू के बयान से पूर्वोत्तर की सभी पार्टियों में नाराजगी

  • असम के मुख्यमंत्री सरमा ने जताई थी आपत्ति

  • विधानसभा में बोलते हुए कही थी ऐसी बात

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: महाराष्ट्र के विधायक बच्चू कडू ने आखिरकार कुत्ते के मांस वाले बयान के लिए असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा से माफी मांग ली है. असम के मुख्यमंत्री के पत्र के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कडु की टिप्पणी के लिए असम से माफी मांगी थी।

आपको बता दें कि अचलपुर से निर्दलीय विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी चलाने वाले कडू ने कहा था कि महाराष्ट्र से आवारा कुत्तों को असम भेजा जाना चाहिए जहां कुत्ते का मांस खाया जाता है।महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री रहे कडू तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अधीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री रह चुके कडू ने सदन के पटल पर यह टिप्पणी की थी।

विधानसभा में 4 मार्च को आवारा कुत्तों के खतरे पर चर्चा के दौरान उन्होंने ऐसा कहा था। विधानसभा में बोलते हुए, कडु ने कहा था कि आवारा कुत्तों की असम में मांग है और प्रति कुत्ते की कीमत 8,000 रुपये है। माफी मांगने के एक दिन बाद असम के मुख्यमंत्री ने विधानसभा के सदस्यों में से एक द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ अपने महाराष्ट्र के समकक्ष एकनाथ शिंदे को एक पत्र ट्वीट किया। इसको लेकर असम में महाराष्ट्र के विधायक बच्चू कडू के खिलाफ कई पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं।

कडू के बयान के बाद असम के लोगों और कई संगठनों ने महाराष्ट्र विधायक के खिलाफ प्रदर्शन किया और उनसे माफी की मांग की। महाराष्ट्र के निर्दलीय विधायक बच्चू कडू द्वारा राज्य के आवारा कुत्ते असम भेजे जाने के बयान को लेकर पूर्वोत्तर राज्य की सभी पार्टियों में नाराजगी है।

यहां इस टिप्पणी को लेकर विधानसभा सत्र में खूब हंगामा हुआ और अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस पर अपना गुस्सा व्यक्त किया है। इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बयान को वापस लेने की मांग की।

असम विधानसभा को संबोधित करते हुए असम के सीएम ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विधायक से असम के लोगों द्वारा कुत्ते के मांस की खपत पर दिए गए बयान को वापस लेने के लिए कहा था।सरमा ने यह भी कहा था कि अगर सदन में बयान दर्ज नहीं होता तो विधायक के खिलाफ कार्रवाई की जाती। हालांकि, असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस सदन के अंदर दिए गए बयान के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है।

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