प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपनी बात रखते हुए कई मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों की जिक्र कर कहा कि जिन्हें भ्रष्टाचार की आदत थी, उन्हें इस पारदर्शी सरकार से परेशानी हो रही है। लेकिन पूरे वक्तव्य में वह अडाणी से अपने संबंधों का जिक्र करने से पीछे हट गये।
ऐसा तब हुआ जबकि राहुल गांधी ने सीधे उनसे अडाणी के संबंधों पर सवाल पूछे थे। वैसे संसद के बाहर भी अडाणी की आर्थिक स्थिति की जांच के क्रम में अब सेबी भी निशाने पर आ गयी है। दरअसल हिंडनबर्ग रिपोर्ट, जो जनवरी में जारी की गई थी, ने अडानी समूह को एक तूफान की नज़र में डाल दिया।
रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ उसके लेखांकन प्रथाओं, संबंधित-पक्ष लेनदेन, कुछ विदेशी निवेश फर्मों द्वारा केंद्रित शेयर स्वामित्व और शेयर मूल्य हेरफेर के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गईं। अदानी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया और कानूनी विकल्प तलाशने का संकेत दिया।
अब यह जानकारी सामने आयी है कि भारत की सबसे बड़ी कानूनी फर्मों में से एक, सिरिल अमरचंद मंगलदास ने 2022 में अधिग्रहण सहित कई लेन-देन और सौदों पर अडानी समूह को सलाह दी है और उसका प्रतिनिधित्व किया है।
इसी कंपनी के मालिक के बारे में तृणमूल सांसद महुआ मित्रा ने सीधा सवाल पूछा था। उसका भी उत्तर सरकारी की तरफ से नहीं दिया गया है। सिरिल अमरचंद मंगलदास अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में होल्सिम ग्रुप द्वारा नियंत्रित हित के अडानी समूह के $10.5 बिलियन के अधिग्रहण के लिए कानूनी फर्म थे।
अडानी ने अंबुजा सीमेंट में होल्सिम की पूरी 63.11 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया, जिसके पास एसीसी में 50.05 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, साथ ही एसीसी में इसकी 4.48 प्रतिशत प्रत्यक्ष हिस्सेदारी थी। अंबुजा सीमेंट में हिस्सेदारी की खरीद 385 रुपये के शेयर मूल्य पर और एसीसी में 2,300 रुपये के शेयर मूल्य पर की गई थी।
अदानी समूह ने अपनी सहायक कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क्स के माध्यम से नई दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) के करीब 65 प्रतिशत का अधिग्रहण किया। लेन-देन में सिरिल अमरचंद मंगलदास ने अडानी के लिए कानूनी फर्म के रूप में काम किया।
दिसंबर में, एनडीटीवी के संस्थापकों राधिका और प्रणय रॉय ने कंपनी में 27.26 प्रतिशत हिस्सेदारी अडानी के स्वामित्व वाली एक इकाई को बेच दी, जिससे उसे एनडीटीवी का 64.71 प्रतिशत हिस्सा मिल गया, नियामकीय फाइलिंग से पता चला।
इससे पहले 2022 में, अडानी ने खुली पेशकश के बाद पहले ही एनडीटीवी के 37 प्रतिशत से अधिक का अधिग्रहण कर लिया था। नवंबर 2022 में, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन ने इंडियन ऑइलटैंकिंग में ऑयलटैंकिंग इंडिया जीएमबीएच की 49.38 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए एक निश्चित समझौते में प्रवेश किया, जो भारत में तरल भंडारण सुविधाओं के सबसे बड़े ऑपरेटरों में से एक है।
समझौते के तहत, अडानी पोर्ट्स IOT उत्कल एनर्जी सर्विसेज में अतिरिक्त 10 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी का भी अधिग्रहण करेगी, जो कि इंडियन ऑयलटैंकिंग की 71.57 प्रतिशत सहायक कंपनी है। सिरिल अमरचंद मंगलदास ने अडानी पोर्ट्स को सलाह दी।
मई 2022 में, अडानी विल्मर ने खाद्य व्यवसाय में अपने नेतृत्व को मजबूत करने के लिए मैककॉर्मिक स्विट्जरलैंड जीएमबीएच के प्रसिद्ध ‘कोहिनूर’ ब्रांड सहित कई ब्रांडों के अधिग्रहण की घोषणा की।
कंपनी ने एक बयान में कहा, इस अधिग्रहण ने अडानी विल्मर को भारत में कोहिनूर ब्रांड छतरी के तहत रेडी टू कुक और रेडी टू ईट करी और भोजन पोर्टफोलियो के साथ बासमती चावल के ‘कोहिनूर’ ब्रांड पर विशेष अधिकार दिया। सिरिल अमरचंद मंगलदास ने इसके अधिग्रहण में सूचीबद्ध कंपनी एडब्ल्यूएल को सलाह दी थी।
सिरिल अमरचंद मंगलदास ने अडानी एंटरप्राइजेज को 20,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए अब रद्द की गई अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश पर सलाह दी।
अडानी ने कहा कि 1 फरवरी को बाजार में अस्थिरता को देखते हुए कि कंपनी बोर्ड ने दृढ़ता से महसूस किया कि एफपीओ के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद, तृणमूल कांग्रेस ने सिरिल अमरचंद मंगलदास के प्रबंध भागीदार सिरिल श्रॉफ से खुद को कॉर्पोरेट प्रशासन और अंदरूनी व्यापार पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पैनल से अलग करने के लिए कहा।
शेयर बाजार की गतिविधियों पर रखने वाली संस्थान सेबी में भी इसके मालिक का होना अब बड़ा सवाल बन गया है। महुआ मित्रा ने कहा है कि श्राफ की बेटी परिधि गौतम अडानी की पुत्रवधु थी। ऐसे में उनको सेबी से हट जाना चाहिए था।
इसलिए अडाणी के कारोबार पर अमेरिकी फर्म की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद यह स्वाभाविक प्रश्न है कि आखिर सेबी जैसी संस्था को इसकी भनक क्यों नहीं मिली। अडाणी की जिन विदेशी शेल कंपनियों का जिक्र किया गया है, उनके जरिए जो पैसा भारत आया है, उस बारे में भी सेबी को अपनी तरफ से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।