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नईदिल्लीः जीएसटी पर राहुल गांधी की बातों को अब अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की रिपोर्ट से समर्थन मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ऐसे बड़े अमीरों पर सिर्फ दो प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने से भी सरकार को चालीस हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो सकता है। दूसरी तरफ आंकड़े यह स्पष्ट कर देते हैं कि दरअसल देश में कर का आर्थिक बोझ मुख्य तौर पर देश का गरीब और मध्यम वर्ग उठा रहा है।
इस कर भुगतान का 64 प्रतिशत पैसा इसी वर्ग से सरकार को मिला है जबकि सरकार की तरफ से इन गरीब करदाताओं को कोई राहत नहीं दी गयी है। दूसरी तरफ बड़े कर्जदारों को कर्जमाफी का फायदा मिला है। यानी गरीबों का पैसा धनकुबेरों की झोली में इस सरकार ने डाल दिया है।
अभी गरीबों को दिये जाने वाले राशन पर सरकार जिस आर्थिक बोझ का उल्लेख करती है। इसी आधार पर यह गणना की गयी है कि अगर अमीरों पर दो प्रतिशत कर लगाया गया तो देश के गरीबों को अगले अट्ठारह महीने तक मुफ्त राशन दिया जा सकता है। अभी की स्थिति यह है कि देश के एक प्रतिशत अमीरों के पास ही देश का चालीस प्रतिशत धन चला गया है।
दूसरी तरफ गरीबों के पास सिर्फ तीन फीसदी धन बचा है। कोरोना लॉकडाउन के आंकड़ों का विश्लेषण यह बताता है कि इस दौरान जब अधिकांश जनता अपने दो वक्त की रोटी की चिंता में जुटा था, देश के अमीरों का पैसा 36-8 करोड़ रुपया प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ता चला गया। देश के खजाने में जीएसटी के मद में जो पैसा जमा हुआ है उसका 63 फीसद पैसा गरीबों ने चुकाया है।
इससे साफ है कि आर्थिक स्थिति के बारे में केंद्र सरकार और भाजपा के दावों का अंतर्राष्ट्रीय संगठन समर्थन नहीं कर रहे हैं। वैसे इस कोरोना लॉकडाउन की वजह से दुनिया के सभी देशों में आर्थिक मंदी का दौर आया है। सोमवार को स्विटरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक फोरम की वार्षिक बैठक में इस रिपोर्ट को भी पेश किया गया है। प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संस्था ऑक्सफेम ने यह रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया गया है कि भारत में अमीर और अमीर हो रहा है जबकि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से गरीब और गरीब हो रहा है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना महामारी प्रारंभ होने के बाद भारत में जिनके पास भी एक सौ करोड़ से ज्यादा पैसा है, उनका धन औसतन 121 प्रतिशत बढ़ता चला गया है। रिपोर्ट कहता है कि भारत के दस सबसे अमीर लोगों पर अतिरिक्त पांच प्रतिशत कर लगाया गा तो देश के सभी वैसे बच्चों को स्कूल वापस भेजा जा सकता है जो आर्थिक कारणों से अब स्कूल नहीं जा रहे हैं।
ऑक्सफेम की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे अमीर उद्योपति गौतम अडाणी को शेयर के जरिए जो लाभ मिला है, उस पर अतिरिक्त कर लेने से भारत को 1.79 लाख करोड रुपये की आमदनी हो सकती है। इस धन से देश में पचास लाख शिक्षकों के लिए नये रोजगार का रास्ता खुल सकता है। ऑक्सफेम के भारतीय प्रमुख अमिताभ बेहरा ने कहा है कि दरअसल इन नीतियों की वजह से भारतवर्ष में दलित, आदिवासी, मुसलमान, महिला और असंगठित क्षेत्र के मजदूर लगातार आर्थिक तौर पर कमजोर होते जा रहे हैं।