अपने तीन दर्जन बागी प्रत्याशियों की चिंता
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः पहले यह सोचा गया था कि प्रतिद्वंद्वी एमवीए है। उनकी हार होने पर ही सरकार बनने की गारंटी है लेकिन नामांकन वापस लेने की समयसीमा खत्म होने के बाद भाजपा के शीर्ष नेता सकते में हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) गठबंधन के उम्मीदवारों को हराना ही एकमात्र लक्ष्य नहीं है। एनडीए का विरोध दरअसल दोतरफा है। घर के बागियों ने ही पार्टी को दहला दिया है।
महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना या अजित पवार की एनसीपी से मनमुताबिक उम्मीदवार नहीं मिलने पर एनडीए के इन तीनों सहयोगी दलों के कई नेताओं और मंत्रियों ने बगावत का एलान कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव में वे स्वयं उम्मीदवार हैं! यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस सूची में कई लोग काफी प्रभावशाली हैं। बागी उम्मीदवार की समस्या इंडिया गठबंधन में भी है लेकिन एनडीए की तुलना में यह नगण्य है।
महाराष्ट्र की 288 सीटों पर दोनों गठबंधनों के कुल 50 बागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 36 लोग एनडीए के हैं। फिर इन 36 लोगों में आधे से ज्यादा भाजपा के हैं। यानी जो लोग भाजपा के उम्मीदवार बनना चाहते थे। बिना टिकट मिले ही उन्होंने बगावत का ऐलान कर दिया। लेकिन संकट यहीं ख़त्म नहीं होता। कई केंद्रों पर एनडीए सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। क्योंकि सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है। जैसे, कुर्ला, दक्षिण सोलापुर परांडा, सांगोला, पंढरपुर। इन केंद्रों पर एनडीए के सहयोगी दल एक-दूसरे के विरोधी हैं।
मोदी खेमा की चिंता का मुख्य कारण क्या है? 36 बागी उम्मीदवारों का लक्ष्य उनकी अपनी जीत नहीं है। उनका मुख्य उद्देश्य एनडीए प्रत्याशी का हार सुनिश्चित करना है। इन सभी सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार फायदे की स्थिति में हैं। उन्हें यकीन है कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में उनके विरोधी वोट भाजपा गठबंधन और बागी उम्मीदवारों के बीच विभाजित हो जाएंगे।
भाजपा के लिए डर का संदेश यह है कि सेकंड इन कमांड अमित शाह का व्यक्तिगत अनुरोध भी काम नहीं आया। विद्रोहियों की बर्फ पिघली नहीं। खुद भाजपा नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना मुकाबला हो सकता है। हमने समस्या का समाधान करने का प्रयास किया है। हर जगह एकराय नहीं है यानी आपस में लड़ाई है।