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शराफत छोड़ दी मैंने.. .. .. ..

भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर भी पाकिस्तान में पारंपरिक शराफत छोड़ आये। एससीओ सम्मेलन में रवाना होने के पहले ही उन्होंने साफ कर दिया था कि वहां कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।

इस्लामाबाद के मंच से भी उन्होंने दो टूक लहजे मे कहा कि आतंकवाद और पड़ोसी के साथ बेहतर रिश्ते एक साथ नहीं चल सकते। इससे समझा जा सकता है कि बार बार की चाल से तंग आकर अब वाकई भारत ने पाकिस्तान के प्रति अपने रवैये से शराफत को निकाल फेंका है।

खैर यह तो इंटरनेशनल डिप्लोमैसी है। अब देश के अंदर लौटते हैं तो बेचारे चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अब फिर से एलन मस्क के निशाने पर आ गये हैं। एलन मस्क ने कहा है कि ईवीएम में गड़बड़ी संभव है।

अब बेचारे चुनाव आयुक्त यह तो नहीं कह सकते कि एलन मस्क को कुछ नहीं आता है। स्टारलिंक और टेस्ला जैसी तकनीक के अलावा अंतरिक्ष रॉकेट को दोबारा अपने प्रक्षेपण केंद्र तक सकुशल वापस लाने का करिश्मा भी एलन मस्क ने कर दिया है।

लिहाजा उन्हें विज्ञान की जानकारी नहीं है, यह दलील नहीं चलेगी। मूल मुद्दा तो बैटरी चार्ज का है। एक ही किस्म की दो मशीने अगर एक साथ चलती है तो सामान्य विज्ञान की समझ है कि दोनों की बैटरी भी समान तौर पर खर्च होगी। अगर कम बेशी है तो संदेह होना स्वाभाविक है।

अब हरियाणा और कश्मीर का चुनाव बीत जाने के बाद महाराष्ट्र और झारखंड की बारी है। दोनों राज्यों में दांव पेंच का खेल जारी है। मजेदार स्थिति है कि दांव पेंच एक दूसरे के खिलाफ ही नहीं बल्कि अपने अपने गुट के भीतर ही है। हर किसी को ज्यादा सीटें चाहिए। यहां भी हर कोई शराफत छोड़कर अपने अपने रंग दिखाने पर आमादा है।

इसी बात पर धर्मेंद्र और हेमामालिन की एक फिल्म शराफत का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। इसे लता मंगेशकर ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं

शरीफ़ों का ज़माने में अजी बस हाल वो देखा

कि शराफ़त छोड़ दी मैने शराफ़त छोड़ दी मैने

शराफ़त छोड़ दी मैने

मुहब्बत करने वालों का यहाँ अंजाम वो देखा

कि मुहब्बत छोड़ दी मैने मुहब्बत छोड़ दी मैने

शराफ़त छोड़ दी मैने

छुड़ा के हाथ अपनों से चली आई मैं ग़ैरों में

चली आई मैं ग़ैरों में

पहन ली घुँघरुओँ की फिर

वही ज़ंजीर पैरों में वही ज़ंजीर पैरों में

मैं गाऊँगी मैं नाचूँगी इशारों पे सितमगारों के

बगावत छोड़ दी मैंने बगावत छोड़ दी मैंने

शराफ़त छोड़ दी मैंने

न हीरा है न मोती है न चाँदी है न सोना है

न चाँदी है न सोना है नहीं क़ीमत कोई दिल की

ये मिट्टी का खिलौना है ये मिट्टी का खिलौना है

मेरी दीवानगी देखो, कि कहना मान के इस दिल का

ये दौलत छोड़ दी मैने

शराफ़त छोड़ दी मैने शराफ़त छोड़ दी मैने

मुहब्बत करने वालों का यहाँ अंजाम वो देखा

कि मुहब्बत छोड़ दी मैने मुहब्बत छोड़ दी मैने

शराफ़त छोड़ दी मैने

अब झारखंड की मोर्चाबंदी की भी चर्चा कर लें तो असली लड़ाई भाजपा और झामुमो के बीच है। लेकिन इतना तो तय है कि हेमंत सोरेन की मईया योजना ने अनेक इलाकों में भाजपा की नैय्या डूबो रखी है। बेचारे भाजपा वाले पहले से ही सीट की दावेदारी को लेकर आपस में भिड़े हुए थे। ऊपर से यह अलग परेशानी आ पड़ी है।

हेमंत भी खिलाड़ी नंबर वन निकले। मोर्चाबंदी के बीच ही भाजपा और आजसू दोनों में सेंधमारी कर दी। भाई लोग अब अंदर की गुटबाजी को संभालने में जुटे थे तो ऐसी सेंधमारी हो गयी। इस सेंधमारी में भी जातिगत समीकरणों के असर को तो समझना होगा।

हाल ही में भाजपा ने बाल्मिकी जयंती पर जबर्दस्त कार्यक्रमों का आयोजन कर हिंदू एकता पर ही ध्यान केंद्रित किया तो दूसरी तरफ हेमंत की चाल से साफ हो गया कि पिछड़ों और अति पिछड़ों में अपनी अपनी सामाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी का मुद्दा उभर रहा है।

राहुल गांधी ने भी इस जरूरत को समझते हुए शायद बार बार जातिगत जनगणना का मुद्दा जीवित रखना जारी रखा है। सभी को पता है कि यह चाल अगर कामयाब हो गयी तो हिंदू वोट के नाम का खेल खत्म हो जाएगा क्योंकि राम मंदिर के उदघाटन के बाद वह मुद्दा वोट दिलाने वाला नहीं रह गया है।

अब चलते चलते बिहार की भी बात कर लें तो तय है कि जिस दिन बहुचर्चित सृजन घोटाले की फाइल बंद हुई अपने सुशासन बाबू फिर से पलटी मार जाएंगे। उनके अंदर भी इंडिया गठबंधन द्वारा पीएम की लालच की वजह से गुदगुदी हो रही है। चारा घोटाला से बड़ा घोटाला है सृजन घोटाला, जिसे सीबीआई जांच नहीं रही है बल्कि दबाए हुए है।

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