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अभिषेक बनर्जी का नेतृत्व फिर से स्थापित

भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी सहित पूरी पार्टी फेल

राष्ट्रीय खबर

कोलकाताः यह बिलकुल वैसा ही था जैसा उन्होंने कहा था। जब एग्जिट पोल सर्वेक्षण से पता चला कि बंगाल में तृणमूल पराजित होने जा रही है, तो उन्होंने ही पार्टी के उम्मीदवारों और जिला अध्यक्षों के साथ बैठक की और उन्हें जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए कहा। जिसे संभावित विजयी सेनापति बताया गया था वह भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी अब बुरी तरह पिछड़ गये हैं।

मंगलवार को बंगाल में दिल्ली की लड़ाई के नतीजे ने 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर पार्टी के भीतर कमांडर अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व को स्थापित कर दिया। देखा गया कि अभिषेक ने रणनीति, संगठन, प्रचार, दिशा तय करने हर मामले में भाजपा को काफी पीछे छोड़ दिया। इस लिहाज से वह इस वोट के असली हीरो हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान अभिषेक के भाषण में एक खास रवैया था। वह कभी इस दिशा से नहीं भटके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह बंगाल आकर तृणमूल के खिलाफ जो कहते थे, ममता बनर्जी उसका उलटा कह रही हैं। अभिषेक उस तरह से मोदी-शाह को जवाब देने की राह पर नहीं चले। उन्होंने सिर्फ तुलनात्मक राजनीतिक आंकड़ों का हवाला देकर भाजपा पर हमला बोला। उनके भाषण का मुख्य विषय था-ममता सरकार बंगाल की जनता को क्या दे रही है और केंद्र की भाजपा सरकार ने बंगाल के लोगों के हक को रोक दिया है।

अभिषेक ने बकाया वसूली की मांग को लेकर पिछले साल सितंबर में दिल्ली में आंदोलन का नेतृत्व किया था। उसके बाद, राजधानी में धरना, धरना, पुलिस गिरफ्तारियां और अंत में कलकत्ता में राजभवन के सामने धरना – बंगाल ने एक और अभिषेक देखा। अभिषेक ने कई महीनों तक खुद को थोड़ा संभाल कर रखा।

उन्होंने खुद को अपने लोकसभा क्षेत्र डायमंड हार्बर तक ही सीमित रखा। तृणमूल के कमांडर पिछले फरवरी से संगठन के काम पर लौटने लगे थे। उम्मीदवार का चयन करना, अभियान की रूपरेखा तैयार करना, पूरे बंगाल में दौड़ना, उन्होंने यह सब किया। कई लोगों के मुताबिक शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा के लिए ऐसी ही भूमिका निभाई। यही कारण है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में दोनों के बीच तुलना और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। यह वोट दोनों के लिए एक परीक्षा थी। अब कहा जा सकता है कि अभिषेक पास हो गये हैं और शुभेंदु अधिकारी फेल।

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