लोकसभा के चुनाव प्रचार पर भी हिंसा असर दिख रहा
राष्ट्रीय खबर
गुवाहाटीः मणिपुर के चुनाव प्रचार पर भी हिंसा का असर साफ साफ देखा जा रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में कांग्रेस उम्मीदवार का चुनाव प्रचार शुक्रवार को अज्ञात बदमाशों द्वारा की गई गोलीबारी के बाद अराजक हो गया। फायरिंग की आवाज सुनकर वहां मौजूद लोग जान बचाने इधर उधर भाग निकले।
रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना उखरुल जिले (बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र) से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार अल्फ्रेड कन्नगम आर्थर की एक सार्वजनिक बैठक के दौरान हुई। आर्थर के भाषण के दौरान बदमाशों ने गोलीबारी की, जिससे उखरुल जिले के टीनेम में सार्वजनिक बैठक में भाग लेने वाले लोगों के बीच दहशत की स्थिति पैदा हो गई। हैरानी की बात यह है कि यह कांग्रेस नेता पर इस तरह के लक्षित हमलों की तीसरी घटना है।
कथित तौर पर, अल्फ्रेड पर इससे पहले सोमवार को भी उखरुल के पाओरेई शिरुई गांव में टीके वुडलैंड रिसॉर्ट में हथियारबंद बदमाशों ने हमला किया था। मंगलवार को कांग्रेस नेता पर एक संवाद कार्यक्रम के दौरान हथियारबंद बदमाशों ने दूसरी बार गोलियों से हमला किया। मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष के मेघचंद्र ने मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और राज्य सरकार से हालिया हमलों के जवाब में उखरुल जिले के बाहरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपाय लागू करने का आह्वान किया है।
हिंसा पीड़ित मणिपुर की हालत के बारे में यह सर्वविदित है कि यहां का समाज साफ तौर पर दो हिस्सों में बंट गया है। इस क्रम में वहां की बहुसंख्यक हिंदू आबाद के नेता भी एक मैतेई हथियारबंद संगठन के साथ खड़े नजर आ रहे है। आरोप है कि खुद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ही राज्य की इस अराजक स्थिति को बढ़ावा दिया है। जिसकी वजह से वह खुद बार बार म्यांमार से आने वाले विदेशी नागरिकों को जिम्मेदार ठहराते हैं। लगातार अपीलों के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो मणिपुर का दौरा किया है और न ही वहां की हिंसा के बारे में कोई सार्वजनिक बयान दिया है।