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केंद्र सरकार और भाजपा संगठन दोनों में फेरबदल की आहट

  • समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी

  • जिन राज्यों में चुनाव है वहां के लोगों को तरजीह

  • लोकसभा चुनाव से पूर्व संगठन में बदलाव की चर्चा

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने बुधवार रात अपने आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं के साथ बैठक की।

पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक, करीब पांच घंटे तक चली बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव और लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करने के अलावा दो अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। संसद के आगामी वैकल्पिक सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया जाना और केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव है।

मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। केंद्र द्वारा नियुक्त विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता लागू करने पर विभिन्न धार्मिक संगठनों और समुदायों से भी राय मांगी है। ऐसे में पिछले मंगलवार को सांवल ने समान नागरिक नियमों की वकालत की। मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में उन्होंने मध्य प्रदेश के भोपाल में भाजपा बूथ समिति के अध्यक्षों से पूछा, अगर किसी परिवार में हर सदस्य के लिए अलग-अलग कानून हो तो क्या वह परिवार चल सकता है?

समुदाय के लिए, तो देश प्रगति नहीं कर सकता। संविधान भी सबके लिए समान कानून की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी समान नागरिक संहिता के बारे में बात की है। राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग के अनुसार,  प्रधान मंत्री के भाषण से यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र 2024 के चुनावों से पहले समान नागरिक संहिता लाने के लिए उत्सुक है।

इस संबंध में संसद के आगामी बादल सत्र में एक विधेयक पेश किया जा सकता है। दूसरी ओर, भाजपा के भीतर इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में आखिरी बार फेरबदल हो सकता है। पार्टी के एक सूत्र ने यह भी कहा कि कुछ महत्वपूर्ण मंत्रियों को हटाकर संगठन के काम में भेजा जा सकता है।

इसी चर्चा की वजह से ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव में जाने वाले राज्यों के भाजपा नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। दूसरी तरफ कई कारणों से अपेक्षित स्तर पर काम नहीं कर पाने वाले मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। संगठन के स्तर पर संभावित फेरबदल में झारखंड सहित कई राज्य हैं।

इसे लोकसभा चुनाव के पूर्व की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। वैसे झारखंड के संदर्भ में जिस महिला को यह जिम्मेदारी सौंपने की बात कही जा रही है, उसे लेकर भाजपा के नेताओं के भीतर ही संशय है। दरअसल एक खास गुट से पहचान बनाने वाली इस महिला नेत्री का राजनीतिक अनुभव बहुत कम है। इसलिए पूरे राज्य में वह संगठन को बांधकर रख पायेंगी, इस पर नेताओं को संदेह तो है पर वे इस बारे में खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं।

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