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नरोदा ग्राम नरसंहार के सभी अभियुक्त अदालत से बरी

नईदिल्लीः गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के बाबू बजरंगी उन 60 से अधिक अभियुक्तों में शामिल हैं जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोदा गाम मामले में बरी कर दिया गया है। अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने साम्प्रदायिक दंगों के मामले में आज अपना फैसला सुनाया।

यह मामला अहमदाबाद के नरोदा गाम में आग लगाकर 11 मुसलमानों की हत्या का था। पीड़ितों के वकील समशाद पठान ने कहा कि वे बरी किए जाने के फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा यह फैसला सिर्फ पीड़ितों के खिलाफ नहीं है, बल्कि एसआईटी (विशेष जांच दल) के खिलाफ है, जिसने अपना काम ठीक से किया और 86 आरोपियों को आरोपित किया।

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा भले ही 20 साल से अधिक बीत गए हों। श्री पठान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी का जिक्र करते हुए कहा। वकील ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि विशेष अदालत ने किस आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया, वे आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं।

पठान ने कहा, हमारे पास आरोपी के खिलाफ सभी सबूत थे। एफएसएल (विदेशी विज्ञान प्रयोगशाला) की रिपोर्ट से लेकर सेल टॉवर की स्थिति तक, प्रत्यक्षदर्शियों तक। गृह मंत्री अमित शाह 2017 में सुश्री कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अदालत में पेश हुए। वह 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार में मंत्री थीं, जब साबरमती के एक कोच को जलाने के बाद दंगे भड़क उठे थे।

गुजरात के गोधरा में जिस एक्सप्रेस में हिंदू तीर्थयात्री सफर कर रहे थे। बरी किए गए लोगों के वकील ने एसके बक्शी की विशेष अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं। सुश्री कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगों के मामले में भी दोषी ठहराया गया था जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी।

बाद में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। नरोदा गाम में नरसंहार 2002 के नौ प्रमुख सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक था, जिसकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी द्वारा की गई थी और विशेष अदालतों द्वारा सुनवाई की गई थी। नरोदा गाम मामले में 80 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया था; 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई।

इनलोगों का अचानक बरी होना नरोदा गाम नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए एक झटका है। इस फैसले से एक बड़ा राजनीतिक और न्यायिक तूफान उठने की संभावना है।  खासकर बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल नवंबर में गुजरात चुनाव से ठीक पहले छूट दी गई थी।

2002 के गुजरात दंगों में उनकी तीन साल की बेटी सहित उनके परिवार के सात सदस्यों की भी हत्या कर दी गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर रखा है। दूसरी तरफ गुजरात के ही एक अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनायी थी। जिसकी वजह से उनकी लोकसभा सदस्यता चली गयी है। इस बारे में सेशन अदालत ने भी राहुल गांधी की अपील को खारिज कर दिया है।

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