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प्रमुख नेताओँ के माध्यम से फैलायी गयी फर्जी खबर
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पुलिस ने इस क्रम में ग्यारह मामले दर्ज कर लिये हैं
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देश के कई हिस्सों में भेजी गयी है राज्य पुलिस की टीम
राष्ट्रीय खबर
चेन्नईः तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक सी. सिलेंद्र बाबू ने कहा कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा पर अफवाह फैलाने के आरोप में पुलिस ने 11 मामले दर्ज किए हैं और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। डीजीपी ने गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में कोयम्बटूर में उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पुलिस की विशेष टीमें दिल्ली, भोपाल, बिहार और पटना सहित कई जगहों पर डेरा डाले हुए हैं, ताकि फर्जी खबर को प्रसारित करने वालों को गिरफ्तार किया जा सके। इस बीच बिहार से इस मामले की सच्चाई जानने आयी अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम वापस लौट चुकी है।
उन्होंने कहा, इस तरह के वीडियो, जिनमें से कुछ तमिलनाडु से संबंधित भी नहीं थे। ऐसे वीडियो क्यों प्रसारित किए गए, उनके इरादे और अन्य पहलुओं को शामिल लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चलेगा।
पुलिस जांच के आधार पर मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का यह आरोप सही साबित होता दिख रहा है कि इसके पीछे भाजपा की साजिश है। दरअसल विपक्षी एकता की उनकी मांग के एक दिन बात ही ऐसा हुआ। उन्होंने पुलिस जांच के हवाले से कहा है कि तमिलनाडु पुलिस के पास ऐसा मानने के अच्छे कारण हो सकते हैं।
भाजपा नेताओं के सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से बड़े पैमाने पर फर्जी संदेश फैलाए गए। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भाजपा की बिहार राज्य इकाई के आधिकारिक ट्विटर के अलावा, बिहार के कई भाजपा सदस्यों की संलिप्तता स्पष्ट है,
जैसे सहरसा के विधायक आलोक रंजन, बिहपुर के विधायक कुमार शैलेंद्र, एमएलसी और बिहार भाजपा के महासचिव देवेश कुमार, हरसिद्धि के विधायक कृष्णानंद पासवान, और पार्टी प्रवक्ता प्रशांत उमराव। उमराव का ट्वीट विशेष रूप से विवादास्पद था क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि 12 बिहारी प्रवासियों को हिंदी में बोलने के लिए फांसी पर लटका दिया गया था और इसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ यादव की एक तस्वीर के साथ पोस्ट किया था।
डीजीपी ने कहा कि पुलिस का साइबर फोरेंसिक विभाग नकली वीडियो की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए काम कर रही है और सभी अपराधियों की पहचान की जाएगी। बिहार पुलिस ने भी इस सिलसिले में कुछ गिरफ्तारियां भी की हैं।
श्री बाबू ने कहा कि पुलिस ने बुधवार को एक मामले का पर्दाफाश किया, जो एक दिन पहले प्रसारित एक फर्जी वीडियो से संबंधित था। पुलिस ने वीडियो बनाने वाले व्यक्ति से संपर्क किया और उससे पूछा कि क्या वह ऐसा ही वीडियो बना सकता है। वह इसे करने के लिए तैयार हो गया। उस व्यक्ति ने हमें बताया कि उसे उसके पिछले काम के लिए भुगतान नहीं किया गया था।
इसी तरह, एक वीडियो में, तांबरम में सड़क के किनारे सो रहे एक व्यक्ति को एक प्रवासी श्रमिक के रूप में चित्रित किया गया था, जिसे पीटा गया था। डीजीपी ने कहा, वीडियो बनाने वाले व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
अविनाश कुमार, पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) की अध्यक्षता वाली एक नोडल टीम तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के बारे में अफवाहों की जांच करने के लिए अन्य राज्यों की पुलिस के लिए संपर्क का एकमात्र बिंदु होगी। टीम संदेह दूर करेगी और संबंधित राज्यों में पुलिस को जानकारी देगी।
डीजीपी ने कहा कि होली का त्योहार, अफवाहों के फैलने और प्रवासी श्रमिकों के पलायन के साथ हुआ। पने मूल राज्यों में फर्जी वीडियो फैलने के कारण, श्रमिकों को उनके माता-पिता और रिश्तेदारों द्वारा वापस बुला लिया गया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए उनकी मूल भाषाओं में संदेश भेजे जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या फर्जी खबरें फैलाने वाले अपराधी किसी विशेष राजनीतिक दल से जुड़े हैं, श्री बाबू ने कहा कि उनमें से कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं।