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विपक्षी एकता की कवायद को लगा पहला झटका

  • यहां की 26 लोकसभा सीटों पर है भाजपा की नजर

  • त्रिपुरा में भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे आया

  • कांग्रेस की ताकत इन राज्यों में बहुत कम हो चुकी है

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी:  भाजपा दावा करती रही है कि वह त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड जीतकर सरकार बनाने की कगार पर है, लेकिन उसका दावा तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. अकेले त्रिपुरा को छोड़कर, अन्य दो राज्यों में भाजपा की उपस्थिति नगण्य है।

क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के कारण भाजपा इन सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही है लेकिन भाजपा इस चुनाव में क्वालीफाई नहीं कर पाई है। त्रिपुरा में 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 36 सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा की संख्या घटकर 32 रह गई है। यह केवल भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट का संकेत है।

दूसरी ओर त्रिपुरा में स्थानीय लोगों के राजनीतिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली नवगठित क्षेत्रीय पार्टी तिपरा मोथा ने पहले चुनाव में 13 सीटें जीतीं, जो पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय राजनीति के लिए एक सकारात्मक खबर है।  पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों में केवल क्षेत्रीय राजनीतिक दल ही उभरे हैं। भाजपा ने क्षेत्रीय दलों की नींव तोड़कर केवल त्रिपुरा में ही अपनी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त किया है।

शेष दो राज्यों में भाजपा पार्टी यह प्रचार कर रही है कि क्षेत्रीय दल की जीत उसकी ही पार्टी की जीत है।पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय तीनों ही राज्यों में बीजेपी गठबंधन एक बार फिर से सरकार बनाने जा रहा है।पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर को राजनीतिक महत्व दिया, जिसकी गवाही तीन राज्यों के चुनाव नतीजे दे रहे हैं। बीजेपी त्रिपुरा में अपने दम पर सत्ता बचाए रखने में सफल रही है तो मेघालय और नगालैंड में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बना रही है।

कांग्रेस पूर्वोत्तर के इलाके में कमजोर पड़ी है तो टीएमसी से जेडीयू तक के नेशनल ड्रीम के विस्तार को झटका लगा है।बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर बुने जा रहे विपक्षी एकता के तानेबाने को पूर्वोत्तर के चुनावी नतीजों ने उधेड़कर रख दिया है।विपक्षी एकता का सपना संजोने वाली कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के लिए बड़ा संदेश हैं।

त्रिपुरा में कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर भी बीजेपी को शिकस्त नहीं दे पाए तो तो मेघालय में सभी विपक्षी एक-दूसरे के खिलाफ दो-दो हाथ कर रहे थे। ममता बनर्जी की टीएमसी के त्रिपुरा और मेघालय में चुनावी मैदान में उतरने का खामियाजा विपक्ष को भुगतना पड़ा।

टिपरा मोथा अगर कांग्रेस-लेफ्ट के साथ होती तो त्रिपुरा में बीजेपी की वापसी मुश्किल हो सकती थी। टीएमसी ने जिस तरह  से कांग्रेस को सियासी नुकसान पहुंचाया है, उससे एक बात तो साफ है कि 2024 के चुनाव के लिए हो रही विपक्षी एकता की कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है।

पूर्वोत्तर के तीनों ही राज्यों के चुनावी नतीजे देखें तो साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस जैसी पार्टी बीजेपी के सामने भले ही कमजोर पड़ी हो लेकिन क्षेत्रीय अस्मिता वाले दलों का प्रदर्शन अच्छा रहा है।

नगालैंड में एनडीपीपी तो मेघालय मे एनपीपी किंग बनकर उभरी तो त्रिपुरा में टिपरा मोथा जैसी नई नई पार्टी ने अपने पहले ही चुनाव में 13 सीटें जीतकर खुद को साबित किया है। इन तीनों ही राज्यों में क्षेत्रीय दल वहां के रहन-सहन, जीने का तरीका, भाषा, पहचान से जुड़े हैं. इसके चलते नगालैंड में सत्ता की कमान एनडीपीपी और मेघालय में एनपीपी के हाथों में है और बीजेपी सरकार में सहयोगी दल के तौर पर शामिल है।

तीन राज्यों के चुनाव नतीजों से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए संदेश निकला है। बीजेपी के लिए 2024 के गणित में पूर्वोत्तर बहुत महत्व रखता है क्योंकि वहां  26 लोकसभा सीटें है, जो बाकी देश के मध्य आकार के एक राज्य के बराबर है। बीजेपी इस बात को जानती है कि लोकसभा चुनाव में अन्य राज्यों में उसके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान होगा लिहाजा उन राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पूर्वोत्तर अहम साबित हो सकता है।

मेघालय में गठबंधन सरकार में भाजपा शामिल

दूसरी ओर, मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) ने दो निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से सरकार बनाने के लिए गठबंधन किया है।

60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में गठबंधन के कुल सदस्यों की संख्या 32 होगी। गठबंधन बनाने के फैसले की घोषणा एनपीपी के अध्यक्ष और मेघालय के वर्तमान मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने की।

संगमा ने समर्थन के लिए भाजपा और एचएसपीडीपी का आभार व्यक्त किया और दो निर्दलीय उम्मीदवारों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने एनपीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को अपना समर्थन देने का वादा किया था। एनपीपी ने हाल ही में संपन्न मेघालय विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन बहुमत से दूर रह गई।

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