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नगर निगम और सिसोदिया दोनों मामला भाजपा के खिलाफ

दिल्ली नगर निगम में जो कुछ भी घटित हो रहा है, उससे दिल्ली का आम मतदाता खुश हो रहा होगा, ऐसा मानने का कोई आधार नहीं है। हाई कोर्ट के फैसले पर मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा कि यह फैसला उनकी और आम आदमी पार्टी की निजी जीत है।

उन्होंने कहा कि सभी ने देखा कि शुक्रवार को स्थायी समिति के नतीजे घोषित होने से ठीक पहले कैसे भाजपा पार्षदों ने सुनियोजित तरीके से उन पर और आप पार्षदों पर व्यक्तिगत हमले किए। दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि उसने एमसीडी हाउस में आप और भाजपा पार्षदों द्वारा किए गए हंगामे के संबंध में एक मामला दर्ज किया है।

शुक्रवार को मेयर शैली ओबेरॉय ने आम आदमी पार्टी (आप) की आपत्तियों के बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए वोटों की दोबारा गिनती रोक दी थी। इसके बाद आप और भाजपा पार्षद आपस में भिड़ गए।

एमसीडी हाउस में भाजपा और आप पार्षदों ने सदन की पवित्रता की उपेक्षा करते हुए एक-दूसरे पर वार किया। दोनों पक्षों की ओर से दिल्ली पुलिस को शिकायत की गई थी। अब कानूनी राय लेने के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 160 (अफरे) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

पुलिस ने कहा कि इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। लेकिन दोनों तरफ से वीडियो जारी किये गये हैं, उससे कौन क्या कर रहा है, यह समझना कठिन नहीं है।

अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की बात करें तो अब तक सीबीआई की तरफ से जनता को सही लगने वाली कोई भी दलील अथवा साक्ष्य पेश नहीं किये गये हैं, जिससे ऐसा संदेह भी उत्पन्न हो कि वाकई कोई गड़बड़ी हुई है।

सीबीआई द्वारा यह गिरफ्तारी तब हुई है जब दिल्ली सरकार का बजट पेश होना था और मनीष सिसोदिया पर ही यह जिम्मेदारी थी। कुल सात सदस्यों वाली दिल्ली कैबिनेट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा 6 अन्य मंत्री हैं।

सीएम के पास कोई मंत्रालय है नहीं। बाकी के 6 मंत्रियों में से एक सत्येंद्र जैन पहले से ही तिहाड़ जेल में हैं। अब मनीष सिसोदिया के भी गिरफ्तार हो जाने से सरकार की दिक्कतें और बढ़ने की आशंका है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद भी सत्येंद्र जैन को अभी तक उनके पद से नहीं हटाया है।

वह सरकार में बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं। जैन के जेल जाने के बाद उनके ज्यादातर मंत्रालय मनीष सिसोदिया को सौंपे गए थे। उसी के चलते सिसोदिया के पास इस वक्त 18 मंत्रालयों का जिम्मा था। इनमें फाइनैंस, पीडब्लूडी, पावर, वॉटर, हेल्थ, एजुकेशन, होम, विजिलेंस, प्लानिंग, सर्विसेज, टूरिज्म, अर्बन डिवेलपमेंट जैसे सरकार के ज्यादातर प्रमुख विभाग शामिल हैं।

सिसोदिया के गिरफ्तार होने के बाद अब ये विभाग कौन संभालेगा, यही सबसे बड़ा सवाल है। दिल्ली सरकार का बजट कौन पेश करेगा, इस पर भी अब सरकार को जल्द से जल्द फैसला लेना पड़ेगा, क्योंकि अगर बजट तय समय पर पेश नहीं हुआ, तो सरकार के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

वित्त मंत्री के रूप में बजट बनाने में अपनी व्यस्तता का हवाला देकर ही सिसोदिया ने पिछले हफ्ते सीबीआई से पूछताछ में शामिल होने के लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी थी।

उसी के बाद सीबीआई ने उन्हें एक हफ्ते का वक्त देकर रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया था और गिरफ्तार किया है। दिल्ली सरकार में अब केवल 4 मंत्री ऐसे रह गए हैं, जिनके पास अन्य विभागों का जिम्मा है।

इनमें सबसे अधिक 6 विभाग मंत्री कैलाश गहलोत के पास हैं। वह ट्रांसपोर्ट, रेवेन्यू, महिला एवं बाल विकास, सूचना एवं प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाले हुए हैं। वहीं मंत्री गोपाल राय के पास पर्यावरण, सामान्य प्रशासन और डिवेलपमेंट के रूप में केवल तीन विभागों का जिम्मा है।

चूंकि वह आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के संयोजक भी हैं, इसलिए उन्हें प्रशासनिक कामों में ज्यादा व्यस्त नहीं रखा गया है। अन्य मंत्रियो में इमरान हुसैन के पास दो और राजकुमार आनंद के पास चार मंत्रालयों का जिम्मा है।

ऐसे में सरकार चलाने के लिए अब सीएम अरविंद केजरीवाल को जल्द से जल्द या तो अपनी कैबिनेट में फेरबदल करना पड़ सकता है या फिर मौजूदा 4 मंत्रियों को कुछ अन्य विभागों का जिम्मा सौंपना पड़ सकता है। हो सकता है कि कुछ मंत्रालयों का जिम्मा अब खुद उनको ही संभालना पड़े।

लेकिन दिल्ली के मतदाताओं के जनादेश का इस तरीके से अपमान शायद भाजपा के लिए घाटे का सौदा साबित होने जा रहा है। कमसे कम इतना तो हर आदमी समझ सकता है कि क्या गलत है और क्या सही है। इसलिए सबसे नई पार्टी को ऐसी कार्रवाइयों से दबाने की कोशिशों का अंततः क्या नतीजा निकलेगा, यह देखने वाली बात होगी।

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