Breaking News in Hindi

सदन के वक्तव्यों को हटाने के फैसला का विरोध जारी

  • खडगे ने सबसे पहले आपत्ति जतायी थी

  • नियम 267 के पांचों नोटिस अस्वीकार

  • जेपीसी के गठन की मांग पर भी नाराबाजी

नयी दिल्ली: राज्य सभा में विपक्षी सदस्यों के वक्तव्य से कुछ शब्द हटाने के मुद्दे पर कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने शुक्रवार को जमकर हंगामा करते हुए प्रश्नकाल के दौरान सदन से बहिर्गमन किया।

सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने फिर उन्हीं शब्दों को दोहराया जिन्हें वक्तव्य से निकाला गया है। उन्होंने कहा कि उनके बयान में ये शब्द बहाल किए जाने चाहिए।

इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शोर-शराबा करना शुरू कर दिया और सभापति ने श्री खड़गे के बयान से सहमति नहीं जताई। इसके बाद कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाक आउट कर दिया।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव में चर्चा के दौरान श्री खड़गे के वक्तव्य से सभापति ने कुछ शब्दों को हटा दिया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के सदस्य सुबह से ही हंगामा कर रहे थे। इससे पूर्व सभापति ने कांग्रेस के हंगामा कर रहे सदस्यों के नाम लिए और उन्हें वापस अपनी-अपनी सीटों पर जाने को कहा।

इन सदस्यों में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, नासिर हुसैन, रंजीत रंजन, प्रतीक भट्टाचार्य तथा अन्य सदस्य शामिल थे। आम आदमी पार्टी तथा विपक्षी दलों के सदस्यों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग करते हुए नारे लगाए।

इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता और विपक्ष एक-दूसरे के खिलाफ हंगामा करने के कारण सदन की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक नहीं हो सकी।

सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत दिये गये पांच नोटिसों को अस्वीकार करने के घोषणा की, जिसके बाद विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपनी सीट से ही शोरगुल करना शुरू कर दिया।

इसी दौरान कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के जिस हिस्से को कार्यवाही से हटाया गया है, वह नियम के विरुद्ध है। इसलिए उस हिस्से को कार्यवाही में शामिल किया जाना चाहिए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम ने कहा कि विपक्ष के नेता कोई गंभीर मुद्दा उठाना चाहते हैं, तो उन्हें उठाने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह सभापति पद की गरिमा को जानते हैं। सभापति को रेफरी की भूमिका में रहना चाहिए,लेकिन कई बार वह खिलाड़ी की भूमिका में आ जाते हैं।

इसके बाद श्री खड़गे कुछ कहने के लिए खड़े हुए जिसका भाजपा के सदस्यों ने अपनी सीट से कड़ा विरोध किया। सभापति ने सत्तापक्ष के सदस्यों के आचरण पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कल उन्होंने बजट पर चर्चा कराने का प्रयास किया। वह किसी पक्ष की ओर नहीं देखते बल्कि संविधान को देखते हैं।

सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि कल सदन में विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं का अपमानजनक व्यवहार था। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान व्यवधान हुआ। उनकी पार्टी ने कल विपक्ष के नेता से मांफी मांगने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि माफी मांगने के बाद ही कार्यवाही चलेगी।

इसके बाद भाजपा के सदस्य मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे। हंगामे के दौरान ही श्री खड़गे ने कहा कि उनका गुस्सा सरकार पर होता है, सभापीठ पर नहीं। उन्होंने कहा कि उनके भाषण के जिन छह बिन्दुओं को कार्यवाही से निकाला गया है, उसमें कोई शब्द असंसदीय नहीं है।

इसके बाद कांग्रेस के सदस्य हंगामा करने लगे। इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को लेकर भी नारेबाजी की। शोरशराबे के बीच ही सभापति ने शून्काल की घोषणा कर दी और इस दौरान कुछ सदस्यों ने अपने अपने मुद्दे उठाये।

Leave A Reply

Your email address will not be published.