Breaking News in Hindi

कार्बन डॉईऑक्साइड के सकारात्मक इस्तेमाल की विधि तैयार हो गयी

  • पहली बार इस किस्म का परीक्षण किया गया

  • दवा उद्योग का यह कच्चा माल प्रचुरता में है

  • अन्य यौगिकों का निर्माण भी इस विधि से संभव

बीजिंगः दुनिया में प्रदूषण और पर्यावरण असंतुलन का खतरा चारों तरफ नजर आने लगा है। अमेरिका, कनाडा और यूरोप में जबर्दस्त बर्फवारी के बाद अब फिर से यूरोप के कई इलाकों में तेजी से गर्मी है। यह सभी मौसम के बदलाव के नतीजे माने गये हैं।

इस किस्म की गड़बड़ियों के लिए दुनिया में कॉर्बन डॉईऑक्साइड की बहुतायत को जिम्मेदार माना गया है। अब इसी खतरनाक गैस का सकारात्मक उपयोग करने की रासायनिक विधि विकसित किये जाने का दावा किया गया है। यह बताया गया है कि इलेक्ट्रोसिंथेसिस विधि से इससे आर्गेनिक कण हासिल किये जा सकते हैं।

इन कणों बेहतर इस्तेमाल दवा निर्माण उद्योग में किया जा सकता है। दुनिया भर में इस विधि के जरिए वायुमंडल में जहर घोलते कॉर्बन डॉईऑक्साइड को कुछ हद तक कम भी किया जा सकेगा और इससे मानव कल्याण का काम भी होगा। अच्छी बात यह भी है कि जिस सार्थ इस्तेमाल के लिए कच्चे माल के तौर पर इसका प्रयोग होता, वह कच्चा माल प्रचुर मात्रा में पूरी दुनिया में उपलब्ध है।

चीन के सिचुआन यूनिवर्सिटी के एक शोध के बारे में प्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में इसके बारे में बताया गया है। इस शोध दल का नेतृत्व प्रोफसर सोंग लीन कर रहे थे जो वहां रासायन शास्त्र विभाग के प्राध्यापक हैं। उन्होंने पहले भी इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री का प्रयोग किया है।

उस समय इस विधि का उपयोग कॉर्बन के दो कणों को जोड़कर एक नया यौगिक बनाने के लिए किया गया था। इस बार शोध की दिशा को बदलता गया था। नये तरीके से इस पर काम करते हुए शोध दल ने इसकी रासायनिक प्रतिक्रिया की उपलब्धियों में कीमती धातुओँ के उपयोग को हटा दिया था।

वे इस काम में किसी उत्प्रेरक का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। इनलोगों ने इस विधि से पाईरिडाइन तैयार करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया था। इसका इस्तेमाल दुनिया भर में स्वीकृत अनेक किस्म की दवाइयों में किया जाता है। दरअसल ये हेटेरोसाइकिल्स के वैसे ऑर्गेनिक पदार्थ हैं जो एक रिंग के ढांचे में काम करते हैं। इनमें से एक ढांचा कार्बन का नहीं होता है।

वैसे दवा के अलावा इस यौगिक का इस्तेमाल कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले रसायनों में भी होता है। शोध दल ने प्रयोगशाला में कॉर्बोजाईलेटेड पाइरिडाइन तैयार करने में सफलता पायी। दरअसल इस प्रयोग के दौरान पूरी प्रक्रिया एक इलेक्ट्रो कैमिकल प्रतिक्रिया के दौर से गुजरी।

इसकी वजह से जब इलेक्ट्रो मैकानिकल सेलों में जब प्रतिक्रिया हुई तो वहां एक ऐसा छन्ना तैयार हो गया जो बड़े कणों को आगे बढ़ने से रोक देता था लेकिन आयन स्तर के कण इससे गुजर जाते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि दो किस्म के कॉर्बोजाईलेटेड तैयार हुए।

इसमें सी 4 अविभाजित अवस्था में था जबकि सी 5 विभाजित कोषों के साथ था। इस एक कारण से पूरी संरचना ही बदल गयी थी। शोध दल मानता है कि सिर्फ पाइरिडाइन ही नहीं दूसरे पदार्थों का निर्माण भी इस विधि से किया जा सकता है क्योंकि इस विधि को पूरी दुनिया में पहली बार आजमाया गया है। कॉर्बन डॉईऑक्साइड के इस सकारात्मक प्रयोग से दुनिया में इससे उत्पन्न होने वाली परेशानियों को दूर कर दवा उद्योग के सबसे सस्ता कच्चा माल के तौर पर अब कॉर्बन डॉईऑक्साइड का प्रयोग बेहतर परिणाम देने वाला साबित होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.