Breaking News in Hindi

सुदेश महतो का भाजपा के साथ होने का पुराना राज फिर खुला

  • रघुवर समर्थकों ने आग उगला था

  • सुदेश को हराने की साजिश हुई थी

  • सम्मान से समझौता नहीं की बात कही

राष्ट्रीय खबर

रांची : झारखंड में भाजपा के स्थानीय नेताओं के साथ तनातनी के बाद भी अंततः सुदेश महतो ने पिछले चुनाव में भी भाजपा का साथ नहीं छोड़ा था। यह स्थिति तब हुई थी तब सीटों के बंटवारे पर स्थानीय स्तर पर कोई समाधान नहीं निकल पाया था।

दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थक लगातार सुदेश महतो के खिलाफ आग उगल रहे थे। यहां तक कि जमशेदपुर से सुदेश को सिल्ली में हराने के लिए दिये जाने वाले ऑडियो रिकार्डिंग भी वायरल हो गयी थी। इतना कुछ होने के बाद सुदेश महतो सीधे दिल्ली गये और वहां से अपने मन की बात मनवा कर लौटे थे।

आज फिर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात से यह स्पष्ट हो गया कि उस वक्त के विवाद के बाद भी सुदेश महतो भाजपा के पाले में ही बने रहे हैं। आज की मुलाकात के बाद भी यह साफ हो गया है कि भाजपा की स्वाभाविक सहयोगी पार्टी के तौर पर आजसू काम करेगी।

आजसू के साथ गठबंधन में भाजपा आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में लड़ेगी। इस चुनाव की तैयारियों के निमित पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की हुई मुलाकात में यह बातें तय हुई। सुदेश महतो के साथ करीब 20 मिनट की बातचीत हुई। इस दौरान आजसू को भी भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने चुनाव के लिए तैयारी करने को कहा।

आजसू के पास अभी एक सांसद है। आजसू ने दो लोकसभा सीट की मांग रख दी है, जिस पर बाद में विचार करने की बात कहीं गयी है। वर्तमान में भाजपा ने आजसू को एक लोकसभा सीट गिरीडीह दी थी, जहां से चंद्रप्रकाश चौधरी सांसद है। अभी एक और सीट का डिमांड भाजपा से कर दिया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद फिर विधानसभा चुनाव आने वाला है, जिसके बाद सीटों के बंटवारें पर बातचीत होगी। इस दौरान अमित शाह ने सुदेश महतो को साफ संदेश दिया कि साथ मिलकर चुनाव लड़ने से फायदा होगा और भाजपा उनको साथ लेकर चलना चाहती है।

इस दौरान सुदेश महतो ने भी अपनी रजामंदी दे दी है और भाजपा के साथ ही चुनाव लड़ने की बात कहीं है, लेकिन सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा, यह भी सुदेश महतो ने कह दिया है। फिलहाल, अभी चुनाव में देरी है, लेकिन भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को भी साधना शुरू कर दिया है।

दूसरी तरफ सुदेश महतो अकेले नेता हैं जो पूरे कोरोना काल में लगातार अपने संगठन का विस्तार कर युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम करते रहे। इस वजह से उनकी पार्टी का जनाधार भी अब पहले के मुकाबले काफी अधिक बढ़ चुका है। पिछली बार के कड़वे अनुभव की वजह से ही सुदेश महतो ने यह बता कही है कि सम्मान के साथ वह समझौता नहीं करेंगे। वैसे पूर्व की स्थिति शायद अब नहीं आयेगी क्योंकि यह व्यक्तिगत मतभेद रघुवर दास के साथ थे और अभी पार्टी में दूसरे नेता काबिज हैं।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।