बयानबांग्लादेश

बांग्लादेश में कुछ लोग स्थायी तौर पर असंतुष्ट ही रहते हैं

इतना होने के बाद भी उनका मन नहीं भरताः शेख हसीना

  • पूरे देश को एक स्मार्ट देश बनाना है लक्ष्य

  • हर बच्चे को शिक्षित और जानकार बनाना है

  • हर गांव को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ा जा रहा है

राष्ट्रीय खबर

ढाकाः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहली बार कहा है कि सरकार देश में इतना काम कर रही है। फिर भी देश में कुछ लोग ऐसे हैं, जिनका मन कभी नहीं भरता, वे सदैव सरकार से असंतुष्ट ही नजर आते हैं। दरअसल ऐसे लोग आंख होने के बाद भी अंधे हैं। इसलिए उन्हें सच्चाई नजर ही नहीं आती है।

दरअसल प्रधानमंत्री ने यह बयान इशारे से विरोधियों के बयान पर ही दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक समारोह में प्राथमिक एवं माध्यमिक के छात्रों को पाठ्यपुस्तक देने के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही। अपने सरकार की भावी योजनाओं पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2041 तक बांग्लादेश एक ऐसा स्मार्ट देश होगा, जहां के हर इंसान की सूचना तकनीक की अच्छी जानकारी होगी।

इसलिए कोई भी नागरिक दुनिया के किसी अन्य देश के नागरिक से पिछड़ा नहीं रहेगी। शेख हसीना ने कहा कि शित्रा के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी सरकार ने इसी मकसद से ध्यान दे रखा है। बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा इसी सोच के तहत दी जा रही है ताकि हम दुनिया के साथ साथ कदम मिलाकर चल सके।

उन्होंने कहा कि एक सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है। अब दूसरा भेजने की तैयारी चल रही है। देश के अनेक द्वीपों में पानी के नीचे से केबल बिछाकर इंटरनेट कनेक्शन पहुंचाने का भी काम चल रहा है। गांव के स्तर पर ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाकर इस सोच को साकार किया जा रहा है। इसके बाद भी कुछ लोगों को हमेशा ही देश में कुछ नहीं है दिखता है।

उन्होंने कहा कि दरअसल कुछ लोगो को अब कुछ नहीं कहने की बीमारी हो गयी है। अब बांग्लादेश बदल चुका है इसलिए कुछ नहीं शब्द को अब स्वीकार नहीं किया जाता है। जिन्हें अब भी कुछ नहीं दिखता है, वे अपनी आंखों की जांच करा लें। शेख हसीना ने कहा कि अगर देश की जनता को गरीबी से मुक्ति दिलाना है तो उसका सबसे कारगर हथियार शिक्षा ही है।

इसी वजह से पूरे देश को शिक्षित करने पर सरकार सबसे अधिक ध्यान दे रही है। इसी लक्ष्य की वजह से ही उनकी सरकार ने वर्ष 2010 से बच्चों को मुफ्त में पाठ्यपुस्तक देने का काम प्रारंभ किया था। जो आज भी जारी है। जब यह बच्चे शिक्षित होकर बड़े होंगे तो वे दुनिया की चुनौतियों का मुकाबला करने की स्थिति में होंगे।

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