रांचीः पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल में हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड समाज के हितों में कार्य करने का प्रयास तो किया मगर वे सफल नहीं हो सके जिसका परिणाम झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी के कसौटी में जितना खरा उतरना था वह नहीं उतर सके । उपरोक्त बातें आज झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह आदिवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष,पूर्व प्रत्याशी हटिया विधान सभा विजय शंकर नायक ने हेमंत सरकार के 3 वर्ष समाप्त होने पर आज अपनी प्रतिक्रिया में कही ।
इन्होंने आगे यह भी कहा कि हेमंत सोरेन सरकार में बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के सवाल पर या बेरोजगारी भत्ता देने या फिर खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति, आरक्षण, ठेकेदारी में 25 लाख तक के कार्य मे आरक्षण देने के मामलों, महिलाओं को सुरक्षा देने तथा दलित-ओबीसी समाज को सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करने के मामलों में यह सरकार आज तक पूरी तरह से फेल साबित हुई है।
श्री नायक ने यह भी कहा कि हेमंत सरकार झारखंडी जनता के भावनाओं के साथ खेलने का काम किया और फेको राजनीति करने का कार्य कर सरकार ने झारखंड के बुनियादी विषयों पर झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज को बरगलाने का काम किया है । 3 वर्ष सरकार के समाप्त होने एवं चौथे वर्ष की शुरुआत के बावजूद जनता के हितों की रक्षा करने वाले वर्तमान में मृत पड़े महिला आयोग/ मानवाधिकार आयोग /सूचना आयोग/ शिक्षा न्यायाधिकरण आयोग एवं जनहित से जुड़े सभी महत्वपूर्ण निगमों आयोगों का गठन तक नहीं होना राज सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने के सम्मान है ।
श्री नायक ने आगे कहा हेमंत सोरेन की सरकार चुनाव के समय जितने भी चुनावी वादा किए उसे पूरा करने में विशेष रूचि एवं गंभीरता नहीं दिखाई वे वादों सभी चुनावी जुमला आज साबित हो रहे हैं ।
वे सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के खेल में और अपने को ईडी-आयकर विभाग से बचने एवं चेहरा चमकाने में ही व्यस्त दिखे और जब जब कुर्सी सत्ता खतरे में पड़ी तो यह झारखंडी जनता के भावनाओं के साथ खेलने का कार्य किए ना तो झारखंडी जनता को खतियान आधारित नियोजन नीति और ना ही स्थानीय नीति का लाभ किसी को यह दिला सके ।
इन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार भविष्य में किए गए सभी वादों को पूरा करने में सफल हो इसकी झारखंडी सूचना अधिकार मंच एवं आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच कामना करता है ताकि झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज को इसका संपूर्ण रूप से लाभ मिल सके।