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अंतिम क्रिया के लिए लाशों का ढेर
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नाक वाली वैक्सिन की गुणवत्ता पर सवाल
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आरोप है कि सरकार अब भी सच्चाई छिपा रही है
बीजिंगः सरकार के दावों को गलत साबित करते हुए चीन में एक दिन में साढ़े तीन करोड़ से अधिक कोरोना के रोगी पाये गये हैं। इसके पहले ही यह रिपोर्ट आयी थी कि वहां कोरोना से मरने वालों की अंतिम क्रिया के लिए भी लंबी लाइनें लगी हैं और चिकित्सा के साथ साथ अंतिम क्रिया की पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त हो गयी है।
अचानक की इस स्थिति ने यह सवाल भी उठा दिया है कि क्या चीन द्वारा अपने वैक्सिन के सफल होने का जो दावा किया गया था, वह गलत था। वैसे भी चीन ने नाक के जरिए दिये जाने वाले वैक्सिन की बात कही थी लेकिन उसके वैज्ञानिक विवरण जारी नहीं किये थे।
दूसरी तरफ यह खबर भी आ रही है कि अब भी लोगों को वहां की प्राकृतिक चिकित्सा के सहारे कोरोना का मुकाबला करने को कहा जा रहा है। कोरोना फैलने के साथ साथ सरकार ने अतिरिक्त इंतजाम किये थे लेकिन इस कोरोना विस्फोट की वजह से सारी व्यवस्थाएं बहुत कम साबित हो चुकी हैं। दिसंबर माह के पहले सप्ताह से ही वहां कोरोना की स्थिति के बिगडने की सूचनाएं मिलने लगी थी।
पिछले तीन वर्षों में जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में थी तो चीन में हर दिन संक्रमित रोगियों की संख्या चालीस लाख के करीब थी। उस पुराने रिकार्ड को भी इस बार चीन के कोरोना विस्फोट ने ध्वस्त कर दिया है। गैर सरकारी स्तर पर यह दावा किया जा रहा है कि वहां की स्थिति तेजी से और भी बिगड़ती जा रही है। दूसरी तरफ सरकार की तरफ से यह कहा गया है कि अभी दैनिक संक्रमण का आंकड़ा तीन हजार से कुछ अधिक है।
वैसे चीन के स्वास्थ्य कमिशन ने यह सफाई दी है कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को कोरोना होने पर उसे कोरोना रोगी नहीं माना जा रहा है। दूसरी तरफ गैर सरकारी माध्यम यह आरोप लगा रहे हैं कि मौत के आंकड़ों को भी सरकार छिपा रही है। वास्तविक स्थिति तो लोग अपनी खुली आंखों से देख पा रहे हैं। बीजिंग के मर्ग में लाशों की अंबार लगा हुआ है।
दूसरी तरफ अब बीमारी के लिए उपचार हेतु दवा भी नहीं मिल पा रही है। इतने व्यापक पैमाने पर संक्रमण के फैलने की वजह से यह माना गया है कि शायद चीन का वैक्सिन फेल कर गया है अथवा चीन ने अपने वैक्सिन के बारे में गलतबयानी की थी।