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ग्लास फ्रॉग पर हुए शोध ने मिली नई जानकारी

  • पूरी तरह पारदर्शी हो जाता है यह मेंढक

  • सारा खून उसके लीवर में जमा हो जाता है

  • अपनी जरूरत के हिसाब से वह सामान्य होता है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः ग्लास फ्रॉंग एक ऐसा जीव है जो शीत निद्रा में जाने के पहले खुद को पूरी तरह पारदर्शी बना लेता है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि आम तौर पर यह मेढ़क दिखने में शीशे का जैसा होता है। इस प्राणी पर हुए शोध से यह पता चला है कि वह शीत निद्रा में जाते वक्त पूरी तरह पारदर्शी हो जाता है। अब जाकर पता चला है कि उसके इस तरीके से पारदर्शी होने की असली वजह क्या है।

इस शोध को ड्यूक यूनिवर्सिटी में किया गया है। इस बारे में प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका साइंटिफिर जर्नल में जानकारी प्रकाशित की गयी है। इस काम को डेलिया और कॉर्लोस टाबोआडा ने पूरा किया है। इसके जरिए यह जाना जा सका है कि इस प्रजाति के मेंढक खुद को पूरी तरह पारदर्शी कैसे बना लेते हैं। वैसे स्पष्ट है कि इनके पारदर्शी हो जाने के इस खास गुण की वजह से ही उन्हें ग्लास फ्रॉग यानी शीशे जैसा मेंढक कहा गया है।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस प्रजाति के पास अपने खून को अपने हिसाब से खींचकर उसे जमा देने का प्राकृतिक गुण प्राप्त है। हम इंसान अथवा अन्य प्राणी ऐसा नहीं कर सकते हैं। हमें जब कभी भी अचानक बड़ी चोट लगती है तो चोट वाले हिस्से में खून के ऐसे थक्के जम जाते हैं। लेकिन ग्लास फ्रॉग यह काम खुद ही कर सकता है।

शीतनिद्रा वाले कई प्राणी इस धरती पर मौजूद हैं जो अपने अपने सोने के स्थान पर महीनों सोते रहते हैं और अंदर की प्राकृतिक घड़ी जब मौसम के बदलाव का संकेत देती है तो वह खुद ही जाग जाते हैं। इस मेढ़क के पास भी शीत निद्रा का यह गुण है, जिसकी जानकारी पहले से थी।

पहली बार शीत निद्रा के दौरान इनका परीक्षण किया गया था और यह पाया गया कि अपने आंतरिक गुण की वजह से इन मेंढको ने अपने शरीर का सारा खून खींचकर अपने लीवर में एकत्रित किया था और वह जमाया गया था। शरीर में खून ही नहीं होने की वजह से उसका पूरा शरीर पारदर्शी हो गया था।

इस अवस्था में मेंढक का पूरे शरीर के अंदरूनी हिस्से भी साफ साफ नजर आ रहे थे और यह देखा गया कि उनका दिल भी नियमित तौर पर धड़क रहा है। इसकी जांच के लिए शोध दल न  अलग अलग तरंगों वाली रोशनी भी उनपर डाली थी। पाया गया कि उनके शरीर के लाल रक्त कण लीवर में जमे हुए हैं।

इस दौरान सारा खून अंदर आने की वजह से उसके लीवर का आकार भी करीब दोगुणा हो गया था। इस बीच शरीर की कोशिकाओं में सिर्फ प्लाज्मा मौजूद था। जागने की स्थिति में वहां एकत्रित खून अपने आप ही पूरे शरीर में फैल जाता है और लीवर अपनी पूर्व स्थिति में लौट जाता है। इसके जरिए इंसानी ईलाज की दिशा में भी बेहतर मदद मिल सकती है। खास कर इंसानों को हार्ट अटैक आने पर भी खून का थक्का जमना एक प्रमुख कारण होता है।

अब इन मेंढकों को किस गुण से खून जमता और फिर सामान्य होता है, उस गुण की तलाश जारी है। उसके अंदर मौजूद कोई रसायन अथवा जीन यह काम करता है, जिसे खोजा जा रहा है। उसकी पहचान होने पर इंसानों के खून जमने की परेशानी का भी बेहतर ईलाज भविष्य में किया जाना संभव होगा।

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