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वहां के शिलालेखों से हुई है इसकी पुष्टि
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बाहरी इलाके में काफी संख्या में लैंप मिले
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अंदर एक नहीं कई कमरे अलग अलग बने हैं
येरूशलमः इजरायल के पुरातत्वविद अब उस स्थान की खुदाई कर रहे हैं, जिसे ईशा मसीह की धाई मां का कब्र माना गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अपने शोध का काम पूरा कर लेने के बाद वे इस स्थान को बेहतर ढंग से संरक्षित करने की व्यवस्था करेंगे। उसके बाद इसे दुनिया भर के पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
यह खुदाई जेरूशलम के दक्षिण पश्चिम में करीब तीस मील की दूरी पर लाचिश के जंगल में चल रहा है। इसकी खोज होने के बाद पहले इसे यहूदियों की कब्रगाह माना गया था। बाद में मुस्लिम धर्म के इतिहासकारों ने इसे सलोमी की कब्र बताया, जो दरअसल यीशु की धाई मां थी। इस बात की चर्चा होने के साथ साथ इस स्थान का महत्व बहुत बढ़ गया है।
वहां पर एक उपासना घर बना हुआ था। वैसे भी पहले से यहां लोग बिना इस नई जानकारी के भी धार्मिक पर्यटन हेतु आते हैं। अभी इस परिसर के कुछ ही हिस्से की खुदाई का काम पूरा हो पाया है।
वहां इस काम में जुटे शोधकर्ताओं के मुताबिक इस स्थान पर ग्रीक और अरबी में लिखे हुए वाक्य भी नजर आये हैं। इन वाक्यों के आधार पर भी यह माना जा रहा है कि यह दरअसल ईशा मसीह की धाई मां कहलाने वाली सलोमी की कब्रगाह ही है।
प्रारंभिक तौर पर वहां जमीन के नीचे से काफी प्राचीन सामान भी मिले हैं। जिनका वैज्ञानिक परीक्षण भी किया गया है। ऊपरी मिट्टी को हटाये जाने के बाद जमीन के नीचे गुफा जैसी स्थिति है। इसलिए वहां भविष्य में इसका पवित्रता को कायम रखने के लिए लोगों को पहले से चली आ रही प्रथा का पालन करना पड़ा।
इसके लिए वे स्थानीय स्तर पर तेल के दीपक अथवा लैंप लेकर अंदर जाएंगे। वहां प्रार्थना करने के बाद यह दीपक अथवा लैंप वापस लौटा देंगे। इस शोध की देखरेख कर रहे निदेशक जिव फाइरर ने कहा कि अंदर में बहुत ही सुंदर नक्काशी के भी नमूने मिले हैं।
इस बारे में औपचारिक तौर पर यह एलान कर दिया गया है कि यह दरअसल यीशु की धाई मां के तौर पर चर्चित सलोमी की कब्र है। इस स्थान को अब सलोमी गुफा का नाम दे दिया गया है। ईसाई धर्मग्रंथों के मुताबिक जब कुंवारी मेरी ने पुत्र को जन्म दिया तो उसकी देखरेख के लिए सलोमी को बुलाया गया था।
किंवदंति हैं कि सलोमी को यह भरोसा नहीं था कि वह किसी कुंवारी माता के पुत्र की देखरेख करने आयी हैं। इसके बाद उसके हाथ पूरी तरह सूखने लगे। जब उसने शिशु को झुले को हाथ लगाया तभी वह ठीक हो सकी। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह गुफा करीब 37 सौ फीट तक फैली हुई है। इसके चारों तरफ पत्थऱ की दीवार है और फर्श पर पत्थरों से नक्काशी की गयी है। बाहरी इलाके में वहां वैसे दुकान भी मिले हैं, जो प्राचीन काल में आने वालों को लैंप किराये पर देने का काम करते थे। ऐसे लैंप भी वहां काफी संख्या में पाये गये हैं।
इस गुफा के अंदर एक नहीं कई कमरे हैं। सभी का प्रवेश द्वार अलग अलग है। वहां पर पत्थरों से बने कुछ बक्शे भी मिले हैं। वहां के शिलालेख ही इसे सलोमी की कब्र बताते हैं। वैसे भी इस ईसाई धर्मस्थल पर कभी मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। उसके बाद भी यीशु को मानने वाले यहां नियमित तौर पर आकर प्रार्थना करते रहे। इसी वजह से वहां दीप किराये पर लेकर नीचे जाने का रिवाज आज भी जारी है।