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तीन बार लगातार एक ही मुद्दे पर हंगामा
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इसी चक्कर में शून्यकाल भी नहीं हो सका
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सरकार ने कहा संवेदनशील मामला है यह
नयी दिल्ली : चीन के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल और शून्य काल की कार्यवाही नहीं हो सकी और सदन की बैठक दोबारा अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने 12 बजे शून्य काल शुरू होते ही आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये।
इसके साथ ही विपक्षी सदस्य अपने-अपने स्थानों पर खड़े होकर चीन के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जवाब देने की मांग करते हुए शोरशराबा करने लगे। वे लगातार नारे लगाते रहे। श्री अग्रवाल ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रख दिये जाने के बाद शून्य काल शुरू होने की घोषणा की, तभी विपक्षी सदस्यों ने हंगामा तेज कर दिया।
पीठासीन अधिकारी ने विपक्षी सदस्यों से बार-बार अपनी सीटों पर बैठने और शून्य काल में सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका देने का आग्रह किया, लेकिन विपक्षी सदस्य शोरशराबा करते रहे। इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि चीन के मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बयान दे चुके हैं, सेना की ओर से भी वक्तव्य जारी किया गया है। यह बहुत संवेदनशील मामला है।
इस पर सदन में बहस कराना उचित नहीं है। पहले के भी ऐसे उदाहरण हैं, जब विपक्ष ने सरकार की अपील को माना है और संवेदनशील मुद्दों पर सदन में चर्चा की मांग से पीछे हटा है। श्री जोशी ने कहा कि सदन को अभी कई जरूरी कार्य निपटाने हैं, विपक्ष को सहयोग करना चाहिए और सदन का कामकाज सुचारु रूप से चलने देना चाहिए।
विपक्षी सदस्यों ने श्री जोशी की अपील को नजरअंदाज करते हुए हंगामा जारी रखा और शोरशराबा तेज कर दिया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी श्री अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी। दो बार के स्थगन के बाद दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरु हुई तो कांग्रेस सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी किरीट सोलंकी से विपक्ष को सदन में अपनी बात कहने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन श्री सोलंकी ने विपक्ष की बात सुने बिना और उन्हें कोई आश्वासन दिये बिना नियम 377 के तहत सदस्यों को अपने मुद्दे उठाने के लिए कहा।
कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि उनकी बात सुनी जानी चाहिए। इसलिए पीठासीन अधिकारी को चीन के मुद्दे पर सदन में चर्चा करानी चाहिए। पीठासीन अधिकारी ने जब उनके बार-बार किये गये आग्रह को नहीं सुना तो सदस्य नारे लगाते हुए सदन के बीचों बीच आकर हंगामा करने लगे।
हंगामे के बीच ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कोरोना की स्थिति को लेकर सदन में बयान दिया। श्री मांडविय जब कुछ बोल रहे थे तो उस समय सदन में चल रहे हंगामे के कारण कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। हंगामे के बीच ही उन्होंने सदन में अपना वक्तव्य पढ़ा। स्वास्थ्य मंत्री के बयान के बाद सदस्यों का हंगामा जारी रहा, लेकिन श्री सोलंकी ने नियम 377 के तहत लोक महत्व के मुद्दे उठाने को कहा इस पर हंगामा और बढ गया और श्री सोलंकी को सदन की कार्यवाही चार बजे तक स्थगित करनी पड़ी।