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टकराव के लिए चीन ने फिर से भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराया

कितने चीनी सैनिक घायल हुए, इसे छिपाया

  • ग्लोबल टाईम्स में छपी है रिपोर्ट

  • विदेश मंत्रालय के हवाले से जानकारी

  • दस हजार भारतीय सैनिक अग्रिम चौकी पर

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः तवांग सेक्टर में भारतीय सेना और चीन के पीएलए के बीच हुए टकराव पर चीन का बयान चौबीस घंटे के बाद आया है। इस बयान की जानकारी चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाईम्स के जरिए सार्वजनिक हुई है। दूसरी तरफ संसद मे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपना बयान दे चुके हैं, जिसमें कहा गया है कि भारतीय जमीन पर घुसने की कोशिश कर रही चीनी सेना को भारतीय सेना ने पीछे धकेल दिया है।

दोनों देशों के मुताबिक वहां की हालत स्थिर है। लेकिन दोनों पक्षों की तैयारी अधिक सेना की तैनाती की है। भारत ने तो अपने हवाई हमलों को मजबूत बनाने के लिए विमानों को भी अग्रिम पंक्ति में पहुंचा दिया है। जिस इलाके में टकराव हुआ था वह दस हजार के करीब अतिरिक्त सैनिक भेजे जा चुके हैं।

चीन का आरोप है कि अपनी जमीन पर गश्त लगाती चीन की सेना ने अपनी सीमा में घुस आये भारतीय सैनिकों को रोका था, जिससे टकराव हुआ था। चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से ग्लोबल टाईम्स के कूटनीतिक और सैन्य प्रयासों का उल्लेख भी किया है। इसके बाद भी चीन की तरफ से यह जानकारी नहीं दी गयी है कि इस बार के तवांग के टकराव में उसके कितने सैनिक घायल हुआ है।

दरअसल माना जा रहा है कि यहां भी चीन को गलवान जैसा ही नुकसान हुआ है, जिसका एलान अब नहीं किया जाएगा। याद रहे कि गलवान घाटी में भी दोनों देशों की सेना के बीच हुए टकराव में चीन को भारत के मुकाबले अधिक सैनिकों का नुकसान हुआ था, जिसका खुलासा बहुत बाद में हो पाया। इसलिए इस बार तवांग में कितने चीनी सैनिक घायल हुए हैं, उसका खुलासा नहीं होना भी भारतीय सेना के इस दावे को मजबूत करता है कि इस बार भी अधिक संख्या में चीनी सैनिक घायल हुए हैं।

वैसे यह साफ हो गया है कि यहां पर भी चीनी सैनिकों ने पूर्व तैयारी के साथ ही हमला किया था। यहां पर भी वे लोग कांटा तार लगा डंडा लेकर आये थे। यह अलग बात है कि गलवान घाटी के बाद से ही भारतीय सेना चीन की चालों को समझ चुका है और हमेशा ऐसी घटनाओँ के लिए खुद को तैयार रखता है। तवांग के इलाके में भी चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर भारतीय सेना की पहले से नजर थी।

इस इलाके में भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश में चलाये जा रहे विकास कार्यक्रमों से चीन नाखुश है। वह दरअसल अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता है। इस इलाके में चीनी ड्रोन के उड़ने के बाद वहां भारतीय वायुसेना ने अपने सुखोई विमान भी उड़ाये हैं। इससे साफ है कि यहां की अग्रिम पंक्ति पर भारतीय वायुसेना भी सतर्क स्थिति में मौजूद है।

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