हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्र बनाने का फैसला विरोध की स्थिति में भी लिया गया। लेकिन यह पहले ही साफ हो गया था कि इस बार वहां चुनाव जीतकर आये विधायकों में सुक्खू के समर्थकों की संख्या अधिक थी। इसलिए कांग्रेस नेतृत्व ने एक तीर से कई शिकार करने का काम किया है। इस फैसले से साफ हो गया है कि पुराने और वरीय लोगों का सम्मान कायम रखने के बाद भी अब कांग्रेस में उसे ही आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, जिसके पास जनसमर्थन अधिक हो।
अगर यह फार्मूला दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में बैठे नेताओं पर भी लागू हुआ तो कांग्रेस की चाल ढाल भी बदल जाएगी। सुक्खू का मनोनयन एक जमीनी कार्यकर्ता को आगे बढ़ाने वाला भी है क्योंकि वह कांग्रेस के छात्र संगठन से उभरकर अब मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने एक दूसरा संदेश भाजपा के प्रचार पर किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में अपने चाय बेचने का जिक्र कर सहानुभूति बटोरी थी।अब सुक्खू ने भी अखबार बेचने का काम किया है। दोनों में अंतर सिर्फ यह है कि प्रधानमंत्री को चाय बेचते किसी ने नहीं देखा था, ऐसा दावा किया जाता है। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के नये मुख्यमंत्री वाकई अखबार बेचने का काम किया करते थे, इसके गवाह मौजूद हैं। इसके अलावा कांग्रेस पर लगने वाले परिवारवाद का आरोप भी इस एक फैसले से और कमजोर होने लगा है।
इससे पहले भी मल्लिकार्जुन खडगे को पार्टी का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद कांग्रेस ने भाजपा के राजनीतिक समीकरणों को भेदने में आंशिक कामयाबी हासिल की है। अब सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आते ही पुरानी पेंशन बहाल करने का एलान कर दिया है, जो एक आर्थिक फैसला है और बहुत आसान भी नहीं है। फिर भी कांग्रेस ने यहां के चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे का वादा किया था। नवनियुक्त मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करेगी। उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकारियों से चर्चा होगी। उनसे ओपीएस के लोग मिले हैं।
उन्होंने कहा कि जहां कानून और नियमों को बदलने की जरूरत होगी, उन्हें बदला जाएगा और एक पारदर्शी प्रशासन देने का प्रयास होगा। रविवार को शपथ ग्रहण करने के बाद सुक्खू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पूरी कैबिनेट का विस्तार होगा। पहली कैबिनेट में सभी प्रकार की गारंटी योजनाओं को लागू करने पर फैसले लिए जाएंगे।
उसके बाद ही व्यवस्थागत ढंग से गारंटी योजनाएं लागू होंगी। उन्होंने दस की दस की गारंटी दी हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ में सुक्खू नहीं और अब जनता की सरकार है। वह उन लोगों में हैं, जो आम घरों से निकले हैं। सीएम पद की बागडोर संभालने के बाद पहले व्यवस्था को समझना पडे़गा। वे आम घरों से निकले हुए लोग हैं और सत्ता के लिए नहीं आए हैं। अभी प्रशासनिक जिम्मेवारियों को समझना होगा। उसके बाद जो भी फैसले करेंगे, वे आने वाले समय में सार्वजनिक होंगे।
सुक्खू ने कहा कि उनकी माता ने हमेशा उनके लिए स्टैंड लिया। उन्होंने कभी हतोत्साहित नहीं किया। पहले सरकारी नौकरी में जाने का रिवाज था। उस समय यह रहा कि सरकारी नौकरी लग जाए तो राजनीति छोड़ देंगे। भावना शुरू से ही नेतृत्व की रही। शुरू में 17 साल की उम्र में वह सीआर बने। संजौली और कोटशेरा कॉलेजों में अध्यक्ष बने। शिमला में दोनों कॉलेजों से वह इकलौत एससीए अध्यक्ष रहे। मुख्यमंत्री सुक्खू का पहला आदेश, वंचित विद्यार्थियों के लिए विस्तृत योजना तैयार होगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने रविवार को शिमला में टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम का दौरा कर बालिकाओं को मिठाइयां वितरित कीं। इस दौरान आश्रम की बालिकाओं को संबोधित कर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सुविधाओं से वंचित विद्यार्थियों को लाभान्वित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार करेगी। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही पहला आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि योजना के तहत वंचित विद्यार्थियों के लिए इच्छा अनुसार उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने बालिकाओं को लक्ष्य तय कर उसे प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करने का परामर्श दिया। उन्होंने कहा कि आश्रम में रहने वाली बालिकाओं को सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आश्रम का उचित रख-रखाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने को विस्तृत योजना तैयार की जाए। इस तरह कांग्रेस अपने खिलाफ होने वाले परिवार के प्रचार की धार खत्म करने की दो तरफा कोशिश कर रही है। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपनी पुरानी बीमारी यानी गुटबाजी से कैसे निजात पाकर इस एक राज्य को चलाती है वरना परिस्थितियां तो गुटबाजी की बनी हुई है।