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डबल इंजन का नया मॉडल या डबल टकराव

एक तरफ राज्य सरकार और नगर निगम तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार और उनके द्वारा नियोजित उपराज्यपाल। देश की राजधानी का सत्ता समीकरण अब ऐसा बन गया है। इसलिए दिल्ली के काम काज पर आम आदमी पार्टी आसानी से सारा काम कर पायेगी, इस पर संदेह की पूरी गुंजाइश है।

इसके पहले भी कई लोक कल्याणकारी योजनाओँ की फाइलों को उप राज्यपाल के कार्यालय से वापस लौटाया जा चुका है। लिहाजा सब कुछ ठीक ठाक ही होगा, यह सोचना अभी जल्दबाजी होगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के डबल इंजन की सरकार के दावे का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि यह पुरानी इंजनों का मेल अब काम नहीं कर पाती तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी एक नये मॉडल का इंजन लेकर आ गयी है।

इसलिए अब दिल्ली में इस नये मॉडल के इंजन को काम करने की खुली छूट मिलेगी, यह सोचना मुर्खता होगी। दरअसल दिल्ली नगर निगम के चुनाव को पहले टालने औऱ बाद में उसके चुनाव प्रचार में इतने सारे नेताओँ को उतारने के बाद भी भाजपा का हार जाना एक बड़ा राजनीतिक नुकसान है।

इसलिए भाजपा इस मैदान को इतनी आसानी से अपने हाथ से जाने नहीं देगी। वैसे भी भाजपा ने इस चुनाव परिणाम के बाद भी दिल्ली में भाजपा का ही मेयर होने तक का दावा ठोंका है। यह दावा तभी सफल हो सकता है जब दिल्ली नगर निगम के लिए भी अलग से ऑपरेशन लोटस चलाया जाए। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव में बहुमत हासिल कर लिया। 250 सीटों वाले इस नगर निगम में आम आदमी पार्टी को 134 सीटें मिली, जो बहुमत से 8 ज्यादा हैं। वहीं भाजपा को 104, कांग्रेस को 9 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई।

इधर, भाजपा अभी भी मेयर पद की लड़ाई में है। भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है कि अब दिल्ली का मेयर चुनने की बारी है। यह देखना होगा कि किसका पलड़ा भारी रहता है। अब पार्षद तय करेंगे कि उनका मेयर कौन होगा। मालवीय ने उदाहरण देते हुए बताया कि पार्षदों की संख्या कम होने के बावजूद चंडीगढ़ में भाजपा का मेयर है। उनका यह दावा भी सही है।

दिल्ली में मिली एमसीडी चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जीत की बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों ने अपने बेटे व भाई को दिल्ली की सफाई और एमसीडी से भ्रष्टाचार दूर करने की जिम्मेदारी दी है। मैं इस भरोसे को कायम रखूंगा। हमने जैसे दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त किया, ऐसे ही अब एमसीडी को भी भ्रष्टाचार मुक्त करना है। दिल्ली के कूड़े को साफ करना है। उन्होंने कहा कि लोगों ने पूरे देश को संदेश दिया है कि स्कूल, अस्पताल बनवाने और बिजली, पानी व सड़क ठीक करने से भी वोट मिलता है।

केंद्र सरकार की तरफ से इस केंद्र शासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार को बार बार रोका जाता है। कई बार के ऐसे विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला गया था। घर पहुंच सरकारी सेवा और राशन का सरकारी फैसला इसलिए लागू नहीं हो पाया था क्योंकि दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जतायी थी। यह याद रखने वाली बात है कि जब दिल्ली नगर निगम का चुनाव टाला गया था तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आप के सांसदों को संसद से अंदर इससे डरने संबंधी सवाल पूछा था।

ऊपर से सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और हाल के दिनों के सुकेश चंद्रशेखर के मुद्दे भी हैं। स्पष्ट है कि दिल्ली नगर निगम में अपना महापौर बनाने तथा उसे अपनी इच्छा के अनुसार चलाने के अलावा केजरीवाल के सामने जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने की भी चुनौती होगी। कूड़े के पहाड़ और यमुना को साफ करने के साथ साथ कर्मचारियों को नियमित वेतन देने का वादा पूरा करना भी कई कारणों से केंद्र सरकार पर निर्भर है।

इसलिए आम आदमी पार्टी को यहां पर अपने हिसाब से काम करने की छूट नहीं मिलेगी क्योंकि भाजपा का ध्यान अब दिल्ली के लोकसभा सीटों पर होगा, जिसमें सभी भाजपा सांसद काबिज हैं। भाजपा हर चुनाव को गंभीरता से लेती है, यह तो स्पष्ट हो चुका है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को भी नगर निगम में विधानसभा के जैसा नगण्य विपक्ष का फायदा नहीं मिलेगी। भाजपा के पार्षदों की मौजूदगी में हर काम को करने के लिए उसे एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। फिर भी अगर अगले दो वर्षों में आम आदमी पार्टी यहां भी जनता की उम्मीदों को कुछ हद तक पूरा करने में कामयाब होती है तो वह भाजपा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाएगी, यह तय है क्योंकि दिल्ली के स्कूल, शिक्षा, बिजली और पानी के फैसलों का देश भर में असर पड़ चुका है।

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