वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वह नये सिरे से रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन उसकी शर्त है कि यह बातचीत यूक्रेन के युद्ध की समाप्ति पर होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि निकट भविष्य में ऐसी किसी वार्ता की तैयारी भी नहीं है। बाइडेन ने कहा कि अगर वाकई रूसी राष्ट्रपति युद्ध समाप्त करना चाहते हैं तो उन्हें इस दिशा में पहल करनी होगी।
व्हाइट हाउस में जब वह यह बात कह रहे थे तो उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमानूएल मैंक्रों भी मौजूद थे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अभी तक तो रूस की तरफ से ऐसा कोई सकारात्मक संदेश नहीं आया है। इसलिए तुरंत ही कोई वार्ता होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि ऐसी बातचीत चलते फिरते नहीं हुआ करती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त हो, यह वह भी चाहते हैं। वह नाटो के सदस्य देशों से भी इस विषय पर बात करेंगे। अगर रूसी राष्ट्रपति युद्ध समाप्त करने की पहल करते हैं तो उन्हें खुशी होगी। इससे पहले यह देख समझ लेना होगा कि रूसी राष्ट्रपति आखिर चाहते क्या हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले से हुए नुकसान को उन्होंने युद्ध अपराध बताया और कहा कि निर्दोष नागरिकों की मौत की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध में अब तक 6655 यूक्रेनी नागरिक मारे गये हैं, जिनका युद्ध से कोई लेना देना नहीं था। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान से पहले ही रूस के विदेश मंत्री सेरेगेई लावारोव ने कहा है कि इस मुद्दे पर वे अमेरिका और नाटो सभी के साथ बात चीत करन के लिए तैयार हैं लेकिन इससे पहले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि पिछली बार उनलोगों ने क्या गलती की थी और उन्हें ना दोहराया जाए।
उन्होंने कहा कि रूस वार्ता के लिए हमेशा अपना दरवाजा खुला रखता है लेकिन दूसरे देशों को अपनी तरफ से चीजों को पहले टटोल लेना होगा। रूस ने आरोप लगाया है कि अमेरिका यूक्रेन के युद्ध को इसलिए भी हवा दे रहा है ताकि दुनिया में उसके हथियारों का बाजार का वर्चस्व कायम रहे। इसके साथ ही वह अपने पुराने पड़ चुके हथियारों को यूक्रेन में खपा रहा है। बाइडेन के बयान के बाद रूस ने कहा है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन से वापस लौटने की मांग नहीं मानी जाएगी। रूस ने सितंबर के अंत में यूक्रेन के चार इलाकों को अवैध रूप से खुद में मिला लिया है। हालांकि युद्ध के नौ महीने के बाद रूस के हाथ से वे आधे इलाके निकल गए हैं, जिन पर उसने कब्जा किया था।