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जलपाईगुड़ीः यहां के मोहितनगर सरकारी मुर्गी फॉर्म में एक नई प्रजाति की मुर्गी का पालन किया जा रहा है। देशी मुर्गी के साथ अमेरिका के रोड आईलैंड प्रजाति के मेल से इसे बनाया गया है। इसे प्रचलित भाषा में जीटीएस नाम दिया गया है। इस प्रजाति की फॉर्मिंग से मुर्गी पालको को अधिक फायदा होगा, ऐसा दावा किया गया है।
दरअसल उत्तर बंगाल के इन इलाकों में बाहर से मुर्गी का आमद बहुत कम है और स्थानीय स्तर पर जरूरत के हिसाब से मुर्गी की आपूर्ति नहीं हो पाती है। यहां अनेक स्थानों पर निजी मुर्गी फॉर्म हैं और किसान भी अपने अपने घरों में उनका पालन करते हैं। फिर भी मांग के अनुपात में आपूर्ति की कमी हमेशा से बनी हुई है। कोरोना के बाद से यह असंतुलन और बढ़ गया है।
इसलिए सरकारी पशु चिकित्सकों के प्रयास से इस नई प्रजाति को तैयार किया गया है। देशी मुर्गी कम अंडे देती हैं, यह पहले से पता है। दूसरी तरफ देशी मुर्गी के अंडों की मांग अधिक होने की वजह से उसका अधिकांश हिस्सा बाजार में चला जाता है। इससे देशी मुर्गी का उत्पादन बढ़ नहीं पा रहा है।
दूसरी तरफ मोहतनगर मुर्गी फॉर्म ने राज्य सरकार के एनआरजीएन योजना के तत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रयोग किया था, जो सफल रहा है। इसके तहत जिन घरों को मुर्गी के चूजे पालने के लिए दिये जाते हैं, उनमें इस प्रजाति की आपूर्ति की जा रही है।
इस प्रजाति की खासियत यह है कि यह बहुत अधिक दिनों तक अंडे दे सकती है। परीक्षण के बाद वहां के सहायक निदेशक डॉ प्रदीप कुमार साहा ने बताया कि यह प्रजाति साल में 175 अंडे देती है। इससे इलाके में मुर्गी की आबादी बढ़ाने में मदद मिलेगी। फिर बाजार में मुर्गी की मांग को स्थानीय स्तर पर काबू करने में मदद मिलेगी और घरेलू स्तर पर मुर्गी पालन करने वालों की आर्थिक आमदनी बढ़ेगी।