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इंसानी कद का भी जेनेटिक्स से सीधा रिश्ता है

पचास लाख लोगों के आंकड़ों की जांच के बाद निकला निष्कर्ष

  • बच्चों पर भी दिखता है इसका असर

  • इससे कई किस्म की बीमारियां जुड़ी हैं

  • नाटे कद का मानसिक तनाव अधिक होता है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः इंसानी कद का उसके शरीर में मौजूद जेनेटिक कोड के साथ सीधा रिश्ता होता है। पहली बार वैज्ञानिकों ने पचास लाख लोगों के जेनेटिक आंकड़ों की भली भांति जांच कर लेने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। इस क्रम में अधिक लंबाई के कौन कौन से जेनेटिक कारण हैं, उनकी भी परख की गयी है। यह पाया गया है कि कद के मामले में जेनेटिक विविधता के बारह हजार कारण होते हैं।

इसके आधार पर आगे की शोध का काम चल रहा है। जिसका मकसद गलत लंबाई से होने वाली बीमारी और मानसिक परेशानियों का समाधान खोजना भी है। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के शोध दल ने इस पर काम किया है और हर चीज को परख लेने के बाद यह बात सार्वजनिक की है। जेनेटिक प्रभाव बच्चों में भी कभी कभार दिख जाता है जबकि कोई  बच्चा अपने हमउम्र बच्चों के मुकाबले अधिक लंबा हो जाता है। कई बार लंबाई तेजी से बढ़ने की यह प्रक्रिया खास आयु सीमा के बाद होती है।

शोधदल ने यह काम अधिक या कम लंबाई से होने वाली परेशानियों का निदान खोजने के लिए प्रारंभ किया था। यह देखा गया है कि कई लोग औसत से काफी अधिक लंबे हो जाते हैं। इस अत्यधिक लंबाई की वजह से उन्हें कई किस्म की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। दूसरी तरफ अत्यधिक नाटा कद के लोगों को भारी मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है।

दोनों में यह अंतर क्यों है, उसकी जांच के क्रम में यह जेनेटिक गुत्थी को सुलझाया गया है। इससे पहले इंसानी लंबाई के साथ जेनेटिक संबंधों पर ऐसी शोध पहले कभी नहीं हुई थी। इस शोध से जुड़े लोग यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि जेनेटिक कोड को सही तरीके से समझ लेने के बाद अधिक अथवा कम लंबाई का ईलाज भी जेनेटिक कोड में संशोधन से किया जा सकेगा। वरना अभी यह भारी परेशानियों का कारण भी बनती चली जाती है।

इसके मूल में कौन कौन से जेनेटिक कोड हैं, उसकी पहचान का काम भी चल रहा है ताकि बच्चों की जांच में शिशु रोग विशेषज्ञ प्रारंभिक अवस्था में ही इन खामियों को दूर कर सकें। इस शोध से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के लोइक येंगो ने कहा कि लोगों में अस्सी प्रतिशत कद वाली बात जेनेटिक कारणों से ही होती है।

निरंतर शोध में इसके लिए अभी बारह हजार ऐसे कारणों की पहचान हो पायी है। चालीस अलग अलग किस्म के कदों में यह जेनेटिक कारण तलाशे जा चुके हैं। अब डीएनए जांच से शोध को इससे आगे ले जाने पर काम चल रहा है। इतनी अधिक संख्या में जेनेटिक आंकड़े उपलब्ध होने की वजह से शोध दल के लिए इस पर काम करना और किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना आसान हुआ है। इस शोध की खास बात यह है कि इसमें शामिल किये गये आंकड़ों में से दस लाख लोग ऐसे थे, जो यूरोप के निवासी नहीं है।

इसलिए पूरी दुनिया पर यह एक जैसा काम करता है, इसे स्वीकार किया जा सकता है। इस कद संबंधी विसंगति की वजह से इंसान के हड्डी की संरचना में भी गड़बड़ी होती है, यह पहले से पता है। अब इस शोध को जिनोम के स्तर तक ले जाने और कद संबंधी कोई स्थायी जेनेटिक उपचार खोजने की दिशा में भी काम हो रहा है। शोध दल के लोग इस खोज को और व्यापक बनाने के लिए दो करोड़ लोगों के जेनेटिक कोडों की जांच से और बेहतर नतीजा निकालना चाहते हैं।

 

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