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विक्रम एस अंतरिक्ष में सही स्थान पर पहुंचा
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अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की लंबी छलांग
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प्रक्षेपित रॉकेट कक्षा में स्थापित हो चुका है
श्रीहरिकोटा, (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को स्वर्णिम इतिहास रचते हुए ‘प्रारंभ’ नाम के देश के पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। प्रारंभ’ ने तीन घंटे की उलटी गिनती के बाद यहां से 11 बजकर 30 मिनट पर सफल उड़ान भरी।
हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी ने इस रॉकेट को तैयार किया है। पांच सौ 45 किलोग्राम वजनी, ठोस ईंधन से संचालत और छह मीटर लंबे सबऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल को साउंड रॉकेट लॉन्च से छोड़ा गया। तीन पेलोड वाले इस रॉकेट के सफल प्रक्षेपण से भारत ने अंतरिक्ष में एक और लंबी छंलाग लगायी है। स्काईरूट एयरोस्पेस ने ट्वीट किया था, दिल की धड़कनें तेज हो गई हैं। सभी की निगाहें आसमान की ओर हैं। पृथ्वी सुन रही है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ देश के पहले निजी प्रक्षेपण के साक्षी बने। डॉ. सिंह ने कहा मुझे हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस के मिशन प्रारंभ के सफल समापन की घोषणा करते हुए खुशी महसूस हो रही है।
डॉ. सिंह ने कहा, रॉकेट ने स्काईरूट एयरोस्पेस की योजना के अनुसार 89.5 किलोमीटर की ऊंचाई और 121.2 किलोमीटर की रेंज सफलतापूर्वक प्राप्त की। सभी प्रणालियों ने योजनानुसार काम किया और स्काईरूट एयरोस्पेस ने विभिन्न उप-प्रणालियों का प्रदर्शन किया है जिनका भविष्य के कक्षीय लॉन्च वाहनों में उपयोग किया जाएगा। उन्होंने इस सफल अभियान को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक नई शुरुआत और एक नई सुबह करार दिया।
केन्द्रीय मंत्री ने सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह भारत के इको सिस्टम को विकसित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है और भारत के स्टार्ट-अप आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण मोड़ है।
उन्होंने कहा कि यह इसरो ने सफलता की सूची में एक और उपलब्धि शामिल कर ली है और भारत अपने आप को इस क्षेत्र की अग्रिम पंक्ति में स्थापित कर रहा है। विक्रम-एस (वीकेएस) स्पेस किड्ज इंडिया, बजोम्क आर्मेनिया और एन-स्पेस टेक इंडिया से तीन पेलोड लेकर गया, जो त्वरण, दबाव का माप करने के लिए सेंसरयुक्त है। विक्रम-एस कार्बन मिश्रित संरचनाओं और 3 डी-मुद्रित घटकों और उन्नत प्रौद्योगिकियों से निर्मित है।
रॉकेट 101 किमी की अधिकतम ऊंचाई प्राप्त करने के बाद समुद्र में गिरा। ‘प्रारंभ’ नामक पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस को हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस ने विकसित किया है। स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार, विक्रम श्रृंखला के अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के अधिकांश तकनीकों का परीक्षण और सत्यापन में विक्रम-एस सहायता प्रदान करेगा। दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता स्काईरूट दो बार का राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता है और प्रक्षेपण के लिए इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला निजी क्षेत्र का पहला भारतीय स्टार्टअप है।
अंतरिक्ष विभाग के भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने स्काईरूट एयरोस्पेस को देश में निजी क्षेत्र का पहला प्रक्षेपण करने के लिए अधिकृत किया है। स्काईरूट एयरोस्पेस हैदराबाद स्थित एक अंतरिक्ष स्टार्टअप है जिसने भारत में निजी रूप से डिजाइन और तैयार किए गए पहले रॉकेट को प्रक्षेपित करने में सक्षम बनाया है।इन-स्पेस देश में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष विभाग की एकल-खिड़की और स्वायत्त नोडल एजेंसी के रूप में काम करता है।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को एक नया और विशिष्ट आयाम देने के अपने निरंतर प्रयासों में, इन-स्पेस द्वारा स्काईरूट को प्रक्षेपण यान के लिए अधिकृत करना देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नये अध्याय की शुरुआत है। वीकेएस 3 डी मुद्रित ठोस प्रक्षेपक के साथ दुनिया के पहले समग्र अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों में से एक है। यह भविष्य में विक्रम श्रृंखला के अंतरिक्ष वाहनों के 80 प्रतिशत तकनीकों का परीक्षण करेगा।
स्काईरूट दो बार का राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता है और प्रक्षेपण के लिए इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला निजी क्षेत्र का पहला भारतीय स्टार्टअप है।स्काईरूट के प्रक्षेपण वाहनों का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई के नाम पर ‘विक्रम’ रखा गया है। कंपनी ने रॉकेट के तीन संस्करणों को तैयार करने की योजना बनायी है: विक्रम-क 480 किलोग्राम से 500 किलोमीटर की पेलोड/ले जाने की क्षमता वाला विक्रम-1 लोबर आॅर्बिट (एलआईओ) में और 290 किलोग्राम से 500 किलोग्राम सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) में। अन्य दो संस्करण, विक्रम 595 किलोग्राम से 500 किमी एलआईओ, 400 किलोग्राम से 500 किमी एसएसपीओ में और विक्रम ककक -815 किलोग्राम से 500 किमी एलआईओ, 560 किलोग्राम से 500 किमी एसएसपीओ में।