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संजय राउत की जमानत से ईडी का दुरुपयोग प्रमाणित

शिवसेना नेता और भाजपा के मुखर आलोचक बन चुके राज्यसभा सांसद संजय राउत कल शाम जेल से बाहर आ गये। करीब साढ़े तीन महीने से जेल में बंद शिवसेना नेता संजय राउत को आज जमानत मिल गयी। उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ मनी लाउंड्रिग एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। आरोप था कि उन्होंने एक जमीन के सौदे में पैसा लिया है।

आज भी ईडी की तरफ से उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया गया लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए उन्हें जमानत दे दी। इस सूचना के बाद शिवसेना के उद्धव कैंप में उत्सव का माहौल है। राज्यसभा सांसद राउत को जमानत मिलने के बाद उनके भाई ने कहा कि यह तो हमारे परिवार के लिए दूसरी दीपावली जैसी है। इस मामले में अदालत ने जो फैसला सुनाया है, उसका सार तो यही है कि ईडी ने बिना किसी कारण के संजय राउत को गिरफ्तार किया था।

पतरा चॉल मामले में इडी के विरोध के बाद भी अदालत ने न सिर्फ उन्हें जमानत दी बल्कि ईडी के दावों को भी खारिज कर दिया। स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कई बातों का उल्लेख किया है। स्पेशल जज एमजी देशपांडेय ने कहा कि प्रवीण राउत को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया था वह सामान्य मामला था जबकि संजय राउत को अकारण गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने ईडी की कार्रवाई को ही गलत ठहराते हुए कहा है कि इस कार्रवाई की जरूरत ही नहीं थी। जिस मामले में संजय राउत को अभियुक्त बनाया गया था, उसमें उनका कोई लेना देना ही नहीं है। इस पर ईडी ने उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों पर भी गौर नही किया जो इसी मामले से संबंधित थे। अदालत ने ईडी पर यह टिप्पणी भी कर दी है कि यह ताकत के दुरुपयोग की पराकाष्ठा है। अदालत ने माना कि इस जमीन पर आवासीय कॉलोनी में पैसे के अवैध लेनदेन का आरोप संजय राउत के खिलाफ ठहरता भी नहीं है।

अदालत की इस टिप्पणी की गंभीरता को समझा जाना चाहिए जिसमें यह कहा गया है कि हर मामले मे मनी लाड्रिंग की धारा का इस्तेमाल दरअसल कानून का दुरुपयोग ही है। अदालत ने कहा कि इस मामले में पहले ही अभियुक्तों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था तो नये सिरे से इसमें संजय राउत का नाम शामिल करने का कोई कानूनी आधार ही नहीं था।

अब तय है कि भाजपा के खिलाफ काफी आक्रामक रहे इस नेता के बाहर आने से यह तय है कि अब उद्धव खेमा की गतिविधियां और तेज होंगी और एकनाथ शिंदे के खेमा में जारी असंतोष का कोई विस्फोट भी हो सकता है। उनकी जमानत अर्जी पर गत 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों को सुन लेने के बाद अदालत ने फैसला स्थगित कर दिया था।

संजय राउत के भाई संदीप राउत ने कहा कि यह खुशी का दिन है। गत एक अगस्त को ईडी द्वारा हिरासत में लिये जाने के वक्त भी संजय राउत ने हथियार नहीं डालने की बात कही थी। उनके खिलाफ मुंबई में एक बड़ी जमीन पर आवासीय कॉलोनी के निर्माण में गड़बड़ी का आरोप लगा था।

उद्धव ठाकरे कैंप के मुखर नेता समझे जाने वाले राउत के साथ महाविकास अगाड़ी के अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के साथ भी बेहतर तालमेल था। इसलिए तय है कि उनके जेल से बाहर आने के बाद राजनीतिक सक्रियता तेज होगी। गिरफ्तारी के वक्त भी राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया था कि सिर्फ भाजपा के इशारे पर फर्जी मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। उस वक्त खेमाबदल कर मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे ने यह कहा था कि अगर वह निर्दोष हैं तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए। अदालत का फैसला यह दर्शाता है कि इस जांच एजेंसी का दुरुपयोग किया गया है और अदालत के सामने जांच एजेंसी अपनी प्राथमिकी के समर्थन में कोई सबूत नहीं पेश कर पायी है।

आदेश में इस बात का उल्लेख है कि कोर्ट का काम कानून का पालन कर दोषियों को सजा देना है लेकिन यह भी अदालत की जिम्मेदारी बनती है कि किसी निर्दोष को गैरकानूनी तरीके से जेल में नहीं रखा जाए। वैसे इस आदेश के तुरंत बाद ईडी ने मुंबई हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। लेकिन इस बीच ईडी की अपील पर न्यायमूर्ति भारती दांगरे ने संजय राउत की जमानत पर रोक लगाने से भी इंकार कर दिया है। इस एक मामले से दो परिणाम निकलते नजर आ रहे हैं। पहला तो यह है कि महाराष्ट्र की राजनीति में अब उद्धव ठाकरे का खेमा और अधिक आक्रामक हो जाएगा। दूसरी तरफ ईडी सहित अन्य केंद्रीय एजेंसियों पर लगातार आरोप लगाते विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ इनके दुरुपयोग का आरोप सिद्ध होने की बात कहने का मौका मिलेगा।

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