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राहुल गांधी ने सवाल उठाया तो फिर से बहस तेज हो गयी

नोटबंदी के छह वर्षों बाद समीक्षा के तथ्य क्या हैं

  • जनता के हाथ में पहले से अधिक पैसा आया है

  • बाजार से दो हजार रुपये के सारे नोट गायब हुए

  • भाजपा ने दावा किया कि काला धन लौटा आया है

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः देश में वापस आया काला धन? नकदी में भ्रष्टाचार पर लगाम क्या है? यह एक ही सवाल पिछले छह साल से विमुद्रीकरण के फैसले को सता रहा है। जिसका केंद्र के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। क्योंकि उन्होंने अक्टूबर में नोटबंदी से जुड़े एक जनहित के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नोटबंदी का मुद्दा असल जिंदगी में प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि उसके बाद पिछले छह सालों में गंगा में काफी पानी बह चुका है।

केंद्र के एंटर्नी जनरल ने यह भी कहा कि नोटबंदी अब महज पाठ्य सामग्री बन गई है। हालांकि, मंगलवार को नोटबंदी के फैसले पर राजनीतिक दबाव के चलते देश की राजनीति फिर से सक्रिय हो गई। विपक्षी दलों ने पुराने सवाल नए सिरे से उठाए। एक और अहम जानकारी भी सामने आई है।

जबकि देश का केंद्रीय रिजर्व बैंक बता रहा है कि नोटबंदी के चार दिन पहले देश की जनता के हाथ में जो नकदी थी, वह नोटबंदी के बाद पिछले छह साल में कम नहीं हुई है। बल्कि इसमें 71.84 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मंगलवार को नोटबंदी के फैसले की छठी बरसी थी। 8 नवंबर 2016 की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक देश से 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को रद्द करने की घोषणा की।

कारण के रूप में, मोदी ने कहा, देश के लोगों के हाथ में काला धन पहुंचाने के लिए ऐसा निर्णय लिया जाना था। मोदी ने यह भी कहा कि काले धन को आकर्षित करने के लिए अब से देश में कैशलेस यानी कैशलेस डिजिटल लेनदेन अधिक होगा। उस वादे के बाद मंगलवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री की आलोचना की। राहुल ने ट्विटर पर लिखा, ‘काला धन वापस नहीं आया। लेकिन गरीबी वापस आ गई है। अर्थव्यवस्था कैशलेस नहीं हुई है। लेकिन यह कमजोर हो गया है।

राहुल लिखते हैं,  नोटबंदी के फैसले की याद दिलाते हुए देश के नये महाराज ने नोटबंदी (नोटबंदी) के बाद 50 दिनों के भीतर काला धन वापस लाने की बात कही थी। लेकिन ऐसा करके उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया।   राहुल की टिप्पणियों का समर्थन आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी से होता है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों के हाथों में नकदी में वृद्धि की सूचना देने के अलावा, देश के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में एक निश्चित समय में डिजिटल लेनदेन के उपयोग में वृद्धि का मतलब यह नहीं है कि अनुपात नकदी का उपयोग अपने आप कम हो गया है।

इसके उलट नोटबंदी से चार दिन पहले यानी 4 नवंबर 2016 को भारत में लोगों के हाथ में 17.7 लाख करोड़ रुपये थे। और इसी साल 21 अक्टूबर को इसकी राशि 30.88 लाख करोड़ थी। यह जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले शुक्रवार को सार्वजनिक की थी। बाजार से दो हजार रुपये के सारे नोट गायब होने का आंकड़ा भी यह बताता है कि करीब चार लाख करोड़ से अधिक की रकम आम आदमी के पास नहीं है।

दूसरी तरफ भाजपा के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने नोटबंदी के छह साल के काले धन का विस्तृत विवरण दिया है। अमित ने ट्विटर पर लिखा, ‘भाजपा शासन में काला धन वापस आ गया है। गरीबी भी कम हुई है। देश में कितना काला धन लौटा है? फिल्म में अमित ने इसकी जानकारी दी।

जहां कहा गया है कि 2014-21 में देश में 7877 करोड़ टका की बेहिसाब संपत्ति मिली है। 87 हजार 200 करोड़ की अघोषित आय भी सामने आई है।  विदेशों से कितना काला धन लौटा है? अमित ने कहा कि सरकार को एक मामले के आधार पर 11 हजार 10 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय मिली है। पनामा पेपर लीक मामले में भी 20 हजार करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का पता चला है। हालांकि, भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख ने इस बात का लेखा-जोखा नहीं दिया कि विदेशों से देश में कितना काला धन लौटा है।

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