देश मेरे की आवाज चारों तरफ गूंज रही है। यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि चुनाव आते ही देशभक्ति के सहारे नैय्या पार लगान का दांव इससे पहले भी कई बार आजमाया जा चुका है। इसलिए चिंता नहीं फिकिर नॉट। दंगल का मजा लीजिए और नये नये पैंतरे देखने की प्रतीक्षा कीजिए।
असली खेल का मजा तो गुजरात में आ रहा है। पहली बार वहां के दंगल में एक नया पहलवान क्या उतरा पुराने पहलवानों का पसीना छूट रहा है। यह नया पहलवान भी नये पैंतरों वाला है। पता नहीं दो राज्य कैसे जीत लिये और अब तीसरे पर निशाना साधकर बैठा है। हिमाचल प्रदेश का चुनाव परिणाम कुछ भी हो लेकिन इतना तो तय है कि गुजरात चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बनने जा रही है।
दिल्ली में जिसे बहुत हल्के में लिया गया था अब वही पार्टी बड़े राजनीतिक दलों के सामने हैवीवेट पहलवान नजर आने लगा है। मोदी जी का सब कुछ ठीक ही चल रहा था लेकिन मोरबी की घटना में अजंता घड़ी बनाने वाली कंपनी का नाम सामने आने के बाद से सीन बदलता दिख रहा है। लोग उन मुद्दों पर बात करने लगे हैं, जो दक्षिण भारत में पैदल चलते हुए राहुल गांधी उठाते आ रहे हैं।
हाल के दिनों में यह पहला मौका है जब भाजपा को अपना एजेंडा सेट कर दूसरों के उसमें उलझाने का मौका ही नहीं मिल रहा है। चुनावी चर्चाओं में भी मैंगो मैन यानी आम आदमी महंगाई, बेरोजगार, पेट्रोल और डीजल की बात कर रहा है। सरकार के दोनों आला हाकिमों के लिए यह जरूरी है कि गुजरात का किला बचा रहे। थोड़ा बहुत नुकसान हो भी गया तो परवाह नहीं लेकिन अगर किला ढह गया तो आगे क्या होगा, इसे तो समझा जा सकता है। गुजरात में केजरीवाल की गारंटी के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा सरकार बनाने पर सस्ते गैस सिलिंडर का एलान टेंशन बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। ऊपर से पुल हादसे ने बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है, इससे इंकार नहीं है।
इसी बात के साथ साथ राहुल गांधी का पैदल चलना भी अब भाजपा का सरदर्द है। धीरे धीरे भाजपा का वह दांव ही बेकार हो चला है, जिसमें बड़ी सोच समझकर राहुल गांधी को पप्पू साबित किया गया था। टीवी चैनलों की बहस में छाये रहने वाले भाजपा के प्रवक्ता इनदिनों पब्लिक के सवालों के परेशान हैं क्योंकि यह सवाल राहुल गांधी ने उठाये हैं और उनके समर्थक मीडिया वालों को भी नेहरू जिम्मेदार वाला दांव खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
इसी बात पर एक हाल की फिल्म भूज, प्राइड ऑफ इंडिया का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा है मनोज मुंतशिर ने और स्वर दिया है अरिजीत सिंह ने। वर्ष 2021 में बनी इस फिल्म को भारत पाकिस्तान युद्ध की कहानी पर बनाया गया था। इस गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।
ओ देश मेरे तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा है अरजी ये दीवाने की जहाँ भोर सुहानी देखी एक रोज़ वही पे मेरी शाम हो कभी याद करे जो जमाना माटी पे मर मिट जाना ज़िक्र में शामिल मेरा नाम हो ओह देश मेरे तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा आंचल तेरा रहे मां रंग बिरंगा ओह ऊंचा आसमान से हो तेरा तिरंगा जीने की इजाजत देदे या हुकुम शहादत देदे मंजूर हममें जो भी तू चुने रेशम का हो मधुशाला या कफन सिपाही वाला ओढेंगे हम जो भी तू बूने ओह देश मेरे तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा
अब रांची लौटते हैं कि अपने हेमंत भइया ने फिर से चैलेंज ठोंक दिया है। पहले तो दिल्ली से लिफाफा आया तो अइसा चिपक गया कि खुल ही नहीं पाया। अब दोबारा ईडी का समन आया है। हेमंत कह रहे हैं कि दम है तो सीधे गिरफ्तार करो। उनके साथ साथ झामुमो वाले भी अखाड़े के बाहर खड़े होकर ताल ठोंक रहे हैं।
दूसरी तरफ अपने पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने भी ताल ठोंक दिया है कि आदिवासी होने का मतलब यह नहीं कि राज्य को लूटे। लेकिन असली सवाल इनके पीछे छिपा है, जिसे अपने सरयू भइया ने उठा दिया है। ईडी की चार्जशीट में भाजपा शासन काल के जो नाम सामने आये हैं, उनपर कार्रवाई से भूचाल आ सकता है, इससे इंकार नहीं है। बेचारे रघुवर दास को अब पता चल रहा होगा कि राय जी से पंगा लेकर उन्होंने कितनी बड़ी परेशानी मोल ली है।