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नये अध्यक्ष का चुनाव बीस अप्रैल के बाद होंगे

भाजपा में व्यापक संगठनात्मक फेरबदल की चर्चा बाहर आयी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद शुरू होने की संभावना है और साथ ही आने वाले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दो-तीन अन्य राज्यों के पार्टी अध्यक्षों की घोषणा भी कर दी जाएगी। इस संबंध में बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उनके आवास पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की अहम बैठक हुई।

बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि बैठक मुख्य रूप से संगठनात्मक फेरबदल और नए राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के इर्द-गिर्द केंद्रित रही। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनवरी 2020 में कार्यभार संभाला था और लोकसभा चुनावों की देखरेख के लिए उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था।

अध्यक्ष का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली सहित राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हुई। केंद्रीय मंत्री नड्डा नए अध्यक्ष के चुनाव तक पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे। भाजपा ने पहले ही कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, यूपी, एमपी, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ बड़े राज्यों को अभी भी नया पार्टी अध्यक्ष मिलना बाकी है।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों पर निर्णय लिया गया है और आने वाले कुछ दिनों में नामों की घोषणा होने की संभावना है। चूंकि पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए भाजपा महत्वपूर्ण चुनावों से काफी पहले कार्यभार संभालने के लिए एक नए राज्य अध्यक्ष और नेतृत्व की एक नई टीम की तलाश कर रही है। 20 अप्रैल के बाद, पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगी जिसमें नामांकन तिथि, यदि आवश्यक हो तो चुनाव तिथि और फिर नए पार्टी अध्यक्ष की घोषणा शामिल होगी।

मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी एक युवा संगठनात्मक ढांचे की तलाश कर रही है और इससे पार्टी की भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ मौजूदा महासचिवों को हटाकर उनकी जगह युवा चेहरों को लाया जा सकता है। दूसरी तरफ संघ की तरफ से यह सोच लगभग अंतिम हो चुका है कि सरकार के बहुत अधिक करीबी होने के तौर पर पहचाने गये संघ के लोगों को दोबारा संघ में वापस ले लिया जाएगा।

इसके बदले नये लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सूत्र के मुताबिक संघ की सोच के मुताबिक किसी न किसी रुप में अब संजय जोशी की वापसी भी हो सकती है, जिसे संघ की तरफ से मोदी सरकार के ऊपर लगाम लगाने के फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।

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