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बिजली का ऐसा निजीकरण जनता पर ही बोझ है

इंजीनियरों के संगठन ने बिजली निजीकरण का विरोध किया

  • उत्पादन का भी निजीकरण किया जा रहा

  • अन्य इकाइयों पर निजीकरण हावी हो रहा

  • जनता को सस्ती बिजली कैसे मिल पायेगी

राष्ट्रीय खबर

जालंधरः ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार सभी सार्वजनिक बिजली उपयोगिताओं का निजीकरण करने की बेताब कोशिश कर रही है जो देश की ऊर्जा संप्रभुता और सुरक्षा के लिए विनाशकारी है। श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार का वर्तमान जोर पूरी बिजली वितरण प्रणाली के निजीकरण पर है।

ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का एजेंडा देश के पूरे बिजली क्षेत्र को निजी खिलाड़यिों को सौंपना है जो न केवल देश के लिए बल्कि मुख्य हितधारकों, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए भी विनाशकारी है। हालांकि, विश्व बैंक की रिपोर्ट में सार्वजनिक और निजी प्रदाताओं के बीच दक्षता स्कोर में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया है।

श्री गुप्ता ने कहा कि पिछले महीने, प्रधान मंत्री ने एक सम्मेलन में कहा कि निजी घरानों ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं।अब केंद्र सरकार परमाणु ऊर्जा सहित बिजली वितरण के क्षेत्र में निजीकरण के लिए राज्यों को हर तरह की सहायता प्रदान करेगी।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्यों ने वितरण निगमों के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है और केंद्र मदद करने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार का दावा है कि उन बिजली वितरण निगमों का निजीकरण किया जाएगा जो टैरिफ नहीं बढ़ा रहे हैं। इन सभी घटनाक्रमों से साफ पता चलता है कि केंद्र और राज्य सरकारें निजीकरण पर आमादा हैं।

श्री गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार कहती है कि घाटे में चल रही डिस्कॉम का निजीकरण किया जाना है तो फिर मुनाफे में चल रही चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण क्यों किया गया। चंडीगढ़ बिजली विभाग मुनाफे में चल रहा था और कर्मचारियों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के कड़े विरोध के बावजूद उसे एक निजी कंपनी को सौंप दिया गया।

अब उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और राज्य के 42 जिलों को कवर करने वाली दो बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) हैं।ट्रांसमिशन के क्षेत्र में निजीकरण की प्रक्रिया अंदर ही अंदर बहुत तेजी से चल रही है। ट्रांसमिशन के सभी नए सब-स्टेशन निजी क्षेत्र में जा रहे हैं। ट्रांसमिशन में एसेट मोनेटाइजेशन के नाम पर निजीकरण ने नए सिरे से एंट्री ली है।

ट्रांसमिशन निगम मुनाफे में चल रहे हैं, उनका भी निजीकरण किया जा रहा है। राजस्थान में बिजली क्षेत्र का निजीकरण बहुत तेजी से चल रहा है। राज्य की पारेषण व्यवस्था को संयुक्त उपक्रम के रूप में पावर ग्रिड को दे दिया गया है, 132 केवी के एक तिहाई सब-स्टेशन ठेकेदारों को सौंप दिए गए हैं। राज्य विद्युत वितरण में 4 फ्रेंचाइजी पहले से ही मौजूद हैं। अब राज्य के ताप विद्युत संयंत्रों को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए संयुक्त उपक्रम किया जा रहा है।

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