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एन बीरेन सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दिया

अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलकर चर्चा के बाद

  • विधानसभा सत्र के पहले लिया फैसला

  • राज्यपाल भल्ला को सौंपा इस्तीफा

  • उनके खिलाफ काफी असंतोष था

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटीः दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन बाद मणिपुर में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले शनिवार को विशेष विमान से वह दिल्ली आए थे। यहां दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद आज देर शाम राजभवन पहुंचे।

जहां एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंपा। इस दौरान भाजपा सांसद संबित पात्रा, राज्य के मंत्री और विधायक मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार उन्होंने राज्य विधानसभा को निलंबित रखते हुए तीन महीने के लिए राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव दिया है। जातीय हिंसा शुरू होने के करीब दो साल बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफा आया है।

उनके इस्तीफे की मांग लंबे समय से विपक्षी दल कर रहे थे। माना जा रहा है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने नेतृत्व के खिलाफ राज्य भाजपा में असंतोष को कम करने के लिए इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि उनकी सरकार को कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव और शक्ति परीक्षण की संभावना है।

मुख्यमंत्री ने आज शाम राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी के समर्थन वापस लेने के बावजूद भाजपा के पास संख्या बल मौजूद है, उसके बाद भी ऐसी संभावना थी कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट होने पर पार्टी व्हिप की अवहेलना कर दें।

राज्य विधानसभा में बजट सत्र से पहले रविवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सिंह ने आज दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ दो घंटे से अधिक लंबी बैठक की, जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। रिपोर्टों के अनुसार, राज्यपाल ने उन्हें नई सरकार के कार्यभार संभालने तक पद पर बने रहने को कहा है।

मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के बीच सिंह के इस्तीफे की बार-बार मांग की जा रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को राज्य की राजधानी इंफाल में राज्यपाल से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने संकेत दिया कि कांग्रेस की अविश्वास प्रस्ताव की धमकी ने उनके इस्तीफे में निर्णायक भूमिका निभाई।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को भाजपा विधायकों से समर्थन मिलने का भरोसा था, जो कथित तौर पर सिंह के नेतृत्व से नाखुश थे। मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला ने केंद्र को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। सिंह के इस्तीफे से पहले मुख्यमंत्री की स्पष्ट मंजूरी के बिना पहाड़ी जिलों में प्रमुख प्रशासनिक बदलाव किए गए।

इससे संकेत मिलने लगे थे कि दिल्ली ने जिस व्यक्ति को राज्यपाल बनाकर यहां भेजा है वह सीधे दिल्ली के निर्देश पर कार्रवाई कर रहा है। इस बात पर भी शायद बीरेन सिंह खफा हुए थे पर उन्होंने कल तक अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की थी। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार (8 फरवरी, 2025) को कहा कि उनकी सरकार संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने और लोगों को पहले की तरह मिलजुल कर रहने के लिए सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

दूसरी तरफ कुकी जो समुदाय और मैतेई समाज के बीच वैचारिक बंटवारा होने के बाद कई अवसरों पर बीरेन सिंह पर भी मैतेई समाज के लिए पक्षपातपूर्ण फैसला करने का आरोप लगा था। अभी उनके एक ऑडियो टेप का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट के एक फैसले से पूरे राज्य में हिंसा का माहौल बनने के बाद खास तौर पर राज्य के कुकी विधायकों ने स्पष्ट तौर पर बीरेन सिंह पर पक्षपात का आरोप लगाया था।

इसके अलावा कई स्तरों पर राज्य में अफीम की तस्करी और खेती से उनके खास लोगों के जुड़े होने का भी आरोप लगा था। दूसरी तरफ विपक्ष की बार बार की गयी मांग के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया। दूसरी तरफ विपक्ष के नेता राहुल गांधी कई बार वहां के हिंसा पीड़ितों से मिल आये थे। इसका भी दूसरे तरीके से राजनीतिक प्रभाव पड़ा था।

1 टिप्पणी
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